भारतीय एयरस्पेस में सुखोई ने ऐसे किया राफेल विमानों का 'स्वागत', देखें वीडियो
अंबाला के एयरस्पेस पहुंचने से पहले जब राफेल भारतीय एयरस्पेस में प्रवेश कर रहे थे तब इनके 'स्वागत' के लिए आसमान में दो सुखोई एसयू30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को भेजा गया
नई दिल्ली:
फ्रांस से भारत आ रहे 5 शक्तिशाली मल्टीरोल लड़ाकू विमान राफेल अंबाला के एयरबेस में पहुंच चुके हैं. अंबाला में वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने इन्हें वायुसेना में शामिल करने का ऐलान करेंगे. अंबाला के एयरस्पेस पहुंचने से पहले जब राफेल भारतीय एयरस्पेस में प्रवेश कर रहे थे तब इनके 'स्वागत' के लिए आसमान में दो सुखोई एसयू30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को भेजा गया दोनों सुखोई विमानों ने राफेल का भारत में पहुंचने पर स्वागत किया. ये दोनों विमान पांचों राफेल को एस्कॉर्ट करके अंबाला ले जा रहे हैं. इस दौरान पूरे वाक्ये का वीडियो भी रक्षा मंत्रालय ने ट्विटर पर जारी किया है.
The five Rafales escorted by 02 SU30 MKIs as they enter the Indian air space.@IAF_MCC pic.twitter.com/djpt16OqVd
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) July 29, 2020
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आपको बता दें इसके पहले सोमवार को 5 राफेल लड़ाकू विमान भारत के लिए रवाना हुए, और बुधवार को भारत की सरजमीं पर इन लड़ाकू विमानों ने कदम रखा. वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया रणनीतिक और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयरबेस पर राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किया. राफेल के भारतीय वायुसेना बेड़े में शामिल हो जाने से अब भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी. राफेल जैसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान के भारतीय बेड़े में शामिल होने के बाद अब पाकिस्तान और चीन भी भारत से सरहदों पर बैर लेने से एक बार सोचेंगे. राफेल की कई ऐसी खासियत हैं जो कि अभी पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के लड़ाकू विमानों में नहीं है. इसकी ये खासियतें ही इसे विशेष दर्जे में रखती हैं और दुश्मन के लिए घातक बनाती हैं.
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आपको बता दें कि पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय में भारत द्वारा राफेल विमान का खरीदा जाना लड़ाकू विमानों की पहली खरीद है. राफेल जैसे लड़ाकू विमानों के भारत आने के बाद से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता पहले से कई गुना ज्यादा खतरनाक हो जाएगी. इसके पहले भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था, जिस पर कांग्रेस पार्टी ने राजनीति करने की असफल कोशिश की थी.
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