सुखबीर बादल ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के अनुदान में कटौती के लिए आप सरकार पर निशाना साधा
सुखबीर बादल ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के अनुदान में कटौती के लिए आप सरकार पर निशाना साधा
चंडीगढ़:
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को पटियाला स्थित पंजाबी विश्वविद्यालय के वार्षिक बजटीय अनुदान को 200 करोड़ रुपये से घटाकर 164 करोड़ रुपये करने के लिए पंजाब की आप सरकार की आलोचना की।उन्होंने एक बयान में कहा कि आप की ड्रामा पार्टी अब आवंटन में संशोधन का एक और झूठा वादा करके अपने फैसले के खिलाफ नाराजगी को शांत करने की कोशिश कर रही है।
बादल मीडिया की उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिनमें पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति के हवाले से कहा गया है कि विश्वविद्यालय अंधकारमय भविष्य का सामना कर रहा है और मांग की कि बजटीय अनुदान 300 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। कुलपति प्रोफेसर अरविंद ने कहा है, विश्वविद्यालय पहले से ही 150 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा हुआ है और समय पर वेतन देने की स्थिति में नहीं है।
शिअद नेता ने सरकार से कुलपति की याचिका को स्वीकार करने और विश्वविद्यालय का बजट 164 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 360 करोड़ रुपये करने को कहा। बादल ने आवंटन को संशोधित करने के सरकार के वादे को एक और नकली प्रतिबद्धता के रूप में खारिज कर दिया। अकाली प्रमुख ने कहा- पिछले साल मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने नाटकीय हथकंडे पर खरा उतरते हुए कर्मचारियों और छात्रों से इसी तरह के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन वे उसी शाम को भूल गए। अब वही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाबियों की अपनी भाषा, संस्कृति और उनकी धार्मिक विरासत के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक अकादमिक इमारत के साथ पूरी तरह से खराब व्यवहार, जिसमें पवित्र गुरबानी ग्रंथों में शोध शामिल है, यह इस बात का एक और सबूत है कि यह सरकार पंजाब और पंजाबी और महान गुरु साहब द्वारा हमें दी गई विरासत के प्रति कितनी असंवेदनशील है।
बादल ने कहा- यह केवल वित्त के बारे में नहीं है। तथ्य यह है कि यह सरकार दिल्ली में अपने आकाओं द्वारा निर्धारित पंजाब-विरोध,पंजाबी-विरोधी और सिख-विरोधी एजेंडे को लागू कर रही है। वे पंजाबी विश्वविद्यालय के साथ जो कर रहे हैं, वह उसी एजेंडे का एक लक्षण मात्र है। उन्होंने सभी विरासत स्थलों और स्मारकों और हमारी पवित्र विरासत से जुड़ी हर चीज की उपेक्षा की है।
उन्होंने कहा, श्री हरमंदर साहिब के साथ-साथ हमारी गौरवशाली विरासत से जुड़े अन्य स्थानों और स्मारकों के आसपास के विरासत के रखरखाव की घोर उपेक्षा इस नए एजेंडे का प्रमाण है।
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