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धर्म संसद में कही गई बातें हिंदुत्व नहीं, संघ बांटने का काम नहीं करता

वीर सावरकर का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सावरकर ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बात कही थी. हालांकि उनकी यह बात भगवद गीता का संदर्भ में कही थी.

Updated on: 07 Feb 2022, 08:25 AM

highlights

  • संघ का विश्वास लोगों को बांटने का कतई नहीं
  • जरूरी है आपसी मतभेद दूर कर एकता लाई जाए
  • वीर सावरकर ने भी इसी परिप्रेक्ष्य में कही बात

नागपुर:

बेहद सीधे और सपाट लहजे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने धर्म संसद के बैनर तले आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हिंदुत्व औऱ हिंदू से जुड़ी बातों से खुद को किनारे कर लिया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोकतंत्र और वीर सावरकर का जिक्र करते हुए धर्म संसद की बातों से असहमति जताई है. गौरतलब है कि विगत दिनों दो स्थानों पर आयोजित धर्म संसद में बेहद भड़काऊ बातें कही गई थीं. उसका जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस और हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग ऐसी बातों पर भरोसा नहीं करते हैं.

गुस्से में कही गई बात हिंदुत्व नहीं
हिंदुत्व और राष्ट्रीय अखंडता विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने कहा, धर्म संसद से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के अनुसार नहीं थीं. अगर कोई बात किसी समय गुस्से में कही जाए तो वह हिंदुत्व नहीं है. वीर सावरकर का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सावरकर ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बात कही थी. हालांकि उनकी यह बात भगवद गीता का संदर्भ में कही थी. किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के परिप्रेक्ष्य में नहीं.

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संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली
उन्होंने कहा कि दिसंबर में हरिद्वार की धर्म संसद में मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया गया, जबकि रायपुर की धर्म संसद में महात्मा गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी की गई, यह संघ और हिंदुत्व को स्वीकार्य नहीं है. क्या भारत 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है... इस सवाल पर उन्होंने कहा, हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है. यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना. राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता की कदापि जरूरी नहीं है. भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता है. उन्होंने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं, बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है. इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी. यह कार्य हम हिंदुत्व के जरिये करना चाहते हैं.