logo-image

शोपियां में फायरिंग के दौरान घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे FIR में नामजद मेजर

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सेना की गोली से 2 लोगों की मौत में जांच भले ही करवा रही हो लेकिन उन जवानों का साथ देगी।

Updated on: 31 Jan 2018, 09:40 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सेना की गोली से 2 लोगों की मौत पर हुए बवाल पर सेना ने कहा है कि जवानों ने आत्मरक्षा के लिए गोलियां चलाई। सैन्य सूत्रों का कहना है कि सेना के जिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है वो घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था। 

सूत्रों ने बताया कि पत्थरबाजों से घिरे सैनिकों को आत्मरक्षा और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा में गोली चलानी पड़ी थी।

सेना के जवानों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। हालांकि कश्मीर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (अफ्सपा) के कारण सैनिकों के खिलाफ मामला चलाने के लिये पुलिस को केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होगी।

घटना को लेकर सेना का कहना है, 'मेजर घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। वो वहां से करीब 200 मीटर की दूरी पर थे... वो घटनास्थल के आस-पास थे।'

सूत्रों ने बताया कि 27 जनवरी को 10 गढ़वाल राइफल्स के 40-50 सैनिकों का काफिला शोपियां के बालपुरा से गनापुरा के लिये निकला था। लेकिन केलर में पहले से ही पत्थरबाजी के कारण कुछ गाड़ियों ने गनापुरा का रूट लिया।

इसकी जानकारी वहां के स्थानीय लोगों को मिली तो वो पत्थर लेकर बड़ी संख्या में पहुंचे और काफिले को घेर लिया। गनापुरा में हाल ही में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी फिरदौस के मारे जाने के बाद से तनाव था।

और पढ़ें: जम्मू-कश्मीर: सेना के खिलाफ FIR, स्वामी ने कहा-बर्खास्त हो महबूबा सरकार

सूत्रों ने आगे बताया कि उन लोगों ने सैनिकों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया जिसमें एक जेसीओ घायल होकर गिर गया। सेना के जवानों ने पत्थरबाजों को कई बार चेतावनी दी। लेकिन भीड़ हटने को तैयार नहीं थी। सेना ने कई बार हवाई फायरिंग करके भी उन्हें हटाना चाहा लेकिन पत्थरबाजी जारी रही। जब भीड़ और सैनिकों के बीच फासला कुछ ही मीटर का रह गया तो सेना को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।

सेना ने पिछले साल मेजर लीतुल गोगोई द्वारा पत्थरबाजों से बचने के लिये एक पत्थरबाज को जीप से बांध दिया था। ताकि पत्थर फेंक रहे नागरिकों पर गोली न चलानी पड़े। गोगोई के इस कदम से विवाद हुआ था। लेकिन सेना ने गोगोई का साथ दिया था और उन्हें आर्मी चीफ ने कमेंडेशन (प्रशस्ति) कार्ड भी दिया था।

सेना के सूत्रों का कहना है कि यह विशेष परिस्थिति में उठाया गया कदम है। शोपियां मामले में किसी तरह का कोई संदेह नहीं है क्योंकि किसी भी ऑपरेशनल प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है। ऐसे में सेना जवानों का साथ देगी।

और पढ़ें: ब्लू से नारंगी नहीं होगा आपके पासपोर्ट का रंग, विपक्ष ने किया था विरोध

सेना के प्रवक्ता ने रविवार को कहा था, 'सेना का काफिला गनापोरा से जा रहा था जब उस पर बिना किसी उकसावे के 100 से 120 की संख्या में लोगों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था। थोड़ी ही देर में 200 से 250 लोग इकट्ठा हो गए थे, भीड़ ने काफिले से अलग हो गईं चार गाड़ियों को घेर लिया।'

पत्थरबाजों ने सेना की गाड़ियों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था और आग लगाने की कोशिश की थी।

जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख एसपी वैद्य ने सोमवार को कहा था कि इस मामले की जाच शुरू हो गई है और सेना का पक्ष भी लिया जाएगा।

और पढ़ें: शिवसेना ने चेताया, किसान की चिता बीजेपी सरकार को बर्बाद कर देगी