Shadow PM: शैडो यानी परछाई और शैडो पीएम यानी प्रधानमंत्री की परछाई. अठारहवीं लोकसभा के आगाज के साथ शैडो पीएम का जिन भी बाहर आ गया है. कहा तो ये जा रहा है कि मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए अब विपक्षी इंडिया अलायन्स राहुल गाँधी को शैडो पीएम बना सकता है. खास बात यह है कि शैडो पीएम बनते ही राहुल गाँधी के पास स्पेशल पावर्स आ जाएंगे. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि शैडो पीएम क्या होता है. शैडो पीएम के पास कितनी पावर होती है? आखिर ये कॉन्सेप्ट कहाँ से आया? और विपक्ष की इस चाल से बीजेपी की टेंशन क्यों बढ़ सकती है?
कहां से आया शैडो पीएम का कॉन्सेप्ट
दरअसल, शैडो पीएम का कॉन्सेप्ट ब्रिटेन से आया है. ब्रिटेन में विपक्ष के नेता को शैडो पीएम कहा जाता है. ब्रिटेन के अलावा कनाडा, न्यू ज़ीलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया में भी शैडो कैबिनेट सिस्टम है क्योंकि भारत ने ब्रिटेन की संसदीय व्यवस्था से लीडर ऑफ अपोजिशन का पद लिया है. इसलिए हमारी संसद की किताब में भी शैडो पीएम का जिक्र है, लेकिन इसे कभी अमल में नहीं लाया गया. इस बार राहुल गाँधी लीडर ऑफ़ अपोजिशन हैं. ऐसे में अगर विपक्षी इंडिया अलायन्स शैडो कैबिनेट बनाता है तो राहुल ही शैडो पीएम भी होंगे. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने शैडो कैबिनेट बनाने की बात कही हो बल्कि इससे पहले 2014 में भी कांग्रेस ने पार्टी स्तर पर मोदी सरकार की निगरानी के लिए सात कैबिनेट कमेटियां बनाई थी. शैडो पीएम यानी जिसके पास प्रधानमंत्री जैसी पावर तो नहीं होती लेकिन उसकी जिम्मेदारी पीएम के जैसे ही होती है.
क्या है शैडो पीएम का काम
वैसे तो शैडो पीएम के पास कोई फैसले लेने की शक्ति भी नहीं होती, लेकिन ये असली प्रधानमंत्री के कामकाज पर निगरानी रखने का काम करता है. जानकारों का मानना है कि शैडो पीएम का जिक्र भले ही किया गया हो, लेकिन शैडो कैबिनेट की भारत में कोई संवैधानिक हैसियत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत की संसदीय प्रणाली में लीडर ऑफ़ अपोजिशन को पहले से ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है. मतलब नेता प्रतिपक्ष होने के नाते राहुल गाँधी कई चयन समितियों का हिस्सा होंगे जो ईडी व सीबीआई जैसी प्रमुख केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति करती है. यही नहीं राहुल गाँधी के विपक्ष के नेता का पद संभालने का मतलब ये भी है कि उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर चुनाव आयुक्त, केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक, केंद्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष मुख्य सूचना आयुक्त और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जैसे प्रमुख पदाधिकारियों का चयन करना होगा. मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन में भी राहुल की अहम भूमिका होगी.
कई राज्यों ने भी अपना यह कॉन्सेप्ट
यहाँ आपको बता दें कि केंद्र में भले ही अब तक शैडो कैबिनेट नहीं रहा लेकिन राज्यों में इस कॉन्सेप्ट को अपनाने की कोशिश की है. जैसे 2005 में महाराष्ट्र में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी और शिवसेना ने कांग्रेस एनसीपी की गठबंधन सरकार के खिलाफ़ शैडो कैबिनेट बनाई थी. 2014 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के खिलाफ़ राज्य में शैडो कैबिनेट बनाई थी. अब मोदी सरकार को घेरने के लिए इंडिया अलायन्स क्या स्ट्रेटेजी अपनाएगा? ये तो वक्त के साथ ही पता चल पाएगा.
Source : News Nation Bureau