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लखीमपुर केस-SC ने यूपी सरकार से कहा- जांच को लेकर कदम पीछे न खींचे

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई शुरू हुई. इस दौरान  कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है.

Updated on: 20 Oct 2021, 02:31 PM

highlights

  • कोर्ट ने गवाहों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान जल्द दर्ज कराने को कहा
  • कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा, यूपी सरकार ने आश्वस्त किया
  • याचिकाकर्ता वकील ने भी स्टेटस रिपोर्ट की कॉपी की मांग की।

 

नई दिल्ली:

लखीमपुर खीरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के जांच के तरीके पर सवाल खड़े किए है .कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि हमें लगता है कि आप अपने कदम पीछे खींच रहे हैं. ऐसी धारणा न बनने दे. कोर्ट ने ये भी सवाल किया कि अभी तक कुल 4 ही गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने ( धारा 164 के तहत ) क्यों दर्ज हुए हैं। बाकी गवाहों के अभी मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज क्यों नहीं हुए. कोर्ट ने राज्य सरकार से गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा.

'स्टेटस रिपोर्ट दायर करने में देरी क्यों'

यूपी सरकार की ओर से वरिष्ट अधिवक्ता हरीश साल्वे पेश हुए. साल्वे ने बताया कि यूपी सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दायर कर दी है. सीलबंद कवर में रिपोर्ट दी गई है. हालॉकि कोर्ट ने रिपार्ट इतनी देर से दायर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा- हम रात 1 बजे तक स्टेटस रिपोर्ट का इतंज़ार करते रहे, पर आपकी रिपोर्ट नहीं मिली। आप कैसे अभी अपेक्षा करते है कि हम सुनवाई के साथ ही रिपोर्ट भी पढ़ लेंगे। फिर हमने तो आपसे नहीं कहा था कि आप सीलबंद कवर में रिपोर्ट दायर करे.

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आरोपियों की पुलिस कस्टडी को लेकर कोर्ट का सवाल

बेंच के सवालों के जवाब में यूपी सरकार ने बताया कि अभी कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है .दो अपराध हुए है. एक जीप से लोगों के रौदने को लेकर और दूसरा इसके बाद लोगों की पीट पीट कर मार डालने का. बेंच ने ये भी सवाल किया कि आखिर अभी तक कुल 10 लोगों में से कितने लोग पुलिस हिरासत में है. कोर्ट को बताया गया कि इनमें से 4 पुलिस हिरासत में है. इस पर भी कोर्ट ने सवाल किया कि बाकी 6 लोग ज्यूडिशियल कस्टडी में क्यों है। क्या उनकी पुलिस हिरासत  की मांग नहीं की गई. इस पर यूपी सरकार ने बताया कि 3 दिन रिमांड की अवधि पूरी होने के बाद वो जेल में है. इस पर भी कोर्ट ने सवाल किया कि क्या उनकी पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग कोर्ट से नहीं की गई. गौर करने वाली बात है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को तीन दिन की हिरासत पूरी करने के बाद जेल भेज दिया गया था.

'सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज क्यों नहीं हुए'

यूपी सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी कुल 44 गवाहों में बयान दर्ज हुए है, उनमे से 4 के बहन मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए है। कोर्ट ने इस पर भी सवाल उठाया कि  आखिर बाकी के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज क्यों नहीं किये गए. कोर्ट ने कहा कि SIT को पता करना चाहिए कि कौन से गवाह ऐसे है, जिन्हें डरा धमकाया जा सकता है। यूपी सरकार ने बताया कि क्राइम सीन को रीक्रिएट किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि क्राइम सीन को रीक्रिएट करना और मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज होना अलग अलग चीज है. बहरहाल कोर्ट ने यूपी सरकार को जल्द गवाहो के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराने और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित कराने को कहा है. यूपी सरकार ने इसके लिए कोर्ट को आश्वस्त किया.अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी. उससे पहले यूपी सरकार स्टेटस रिपोर्ट दायर करेगी.