किसान आंदोलन होगा खत्म... कैप्टन और बीजेपी के बीच पकी खिचड़ी
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस (Congress) को दोहरा झटका देने वाले कैप्टन किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर भी राजनीतिक उलट-फेर कर सकते हैं. हालांकि कैप्टन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अंदरखाने कुछ शर्तें रखी हैं.
highlights
- बीजेपी के साथ जाने के अमरिंदर सिंह ने दिए संकेत
- मोदी सरकार के अंदरखाने इस पर चल रहा है मंथन
- किसान आंदोलन पर चुनाव से पहले बड़ा फैसला संभव
नई दिल्ली:
पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने नई पार्टी बनाने के संकेत दे भविष्य की राजनीति की ओर इशारा कर दिया है. सीएम पद से इस्तीफे के बाद कैप्टन की गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मेल-मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस (Congress) को दोहरा झटका देने वाले कैप्टन किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर भी राजनीतिक उलट-फेर कर सकते हैं. हालांकि कैप्टन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अंदरखाने कुछ शर्तें रखी हैं. ऐसे में बहुत संभव है कि पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन को लेकर कोई बड़ा घटनाक्रम सामने आ जाए. सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि अंदरखाने मोदी सरकार ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है.
इशारों-इशारों में कैप्टन ने दिया संकेत
गौरतलब है कि नई पार्टी की घोषणा करने के साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने संकेतों में कहा था कि किसान आंदोलन का कोई सर्वमान्य हल निकलने की सूरत में भाजपा संग गठबंधन से इंकार नहीं किया है. फिलहाल किसान आंदोलन एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां सरकार और किसान नेताओं की कई राउंड की बातचीत किसी हल पर पहुंचते नहीं दिख रही. हालांकि सूत्र बताते हैं कि कैप्टन के सुझावों पर केंद्र सरकार उनसे मशविरा कर अंदरखाने किसान आंदोलन खत्म कराने का प्रयास कर रही है. जाहिर है कि किसान आंदोलन का हल निकलना भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.
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भविष्य की राजनीति है टिकी
इन संकेतों को देखें तो किसान आंदोलन पर भाजपा और कैप्टन की राजनीति टिकी हुई है. यदि किसान आंदोलन ऐसे ही जारी रहा तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भाजपा के साथ जाना खतरनाक होगा. भाजपा का पंजाब में जैसा विरोध है, उसका खामियाजा सीधे तौर पर कैप्टन को भी भुगतना पड़ सकता है. ऐसे में यह भाजपा और कैप्टन दोनों के लिए फायदेमंद की स्थिति होगी कि पंजाब में चुनाव से पहले किसान आंदोलन का कोई समाधान निकल आए. गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने सीमांत राज्यों में बीएसएफ के क्षेत्राधिकार के दायरे को 10 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक कर दिया है. इसका भी पंजाब में भी विरोध हो रहा है. ऐसे में संभव है कि पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन पर कोई हल सामने आ जाए.
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