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ABVP के इतिहास पर पहली पुस्तक, RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले करेंगे विमोचन

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की सात दशकों की यात्रा पर प्रकाशित हो रही पुस्तक ध्येय यात्रा का 15 अप्रैल को विमोचन होगा. छात्र आंदोलन के इतिहास पर पहली पुस्तक का विमोचन RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले करेंगे.

Updated on: 14 Apr 2022, 08:30 AM

highlights

  • प्रो यशवंत राव केलकर के प्रयास से 9 जुलाई, 1949 को ABVP अस्तित्व में आया
  • विश्व का सबसे सशक्त छात्र संगठन ABVP अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है
  • ABVP के 7 दशक के इतिहास पर पुस्तक का शोध के लिए उपयोग हो सकेगा

New Delhi:

पिछले सात दशकों से राष्ट्र निर्माण में  बड़ी भूमिका निभा रहे दुनिया के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के 75 वर्षों की यात्रा पर दो खंडों में प्रकाशित हो रही पुस्तक 'ध्येय-यात्रा : अभाविप की ऐतिहासिक जीवनगाथा' का 15 अप्रैल, 2022 को दिल्ली के  डॉ आंबेडकर इंटरनेशनल सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले विमोचन करेंगे. इस दौरान RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, राजनीति से जुड़े कई नामचीन हस्तियों और ABVP के पूर्व कार्यकर्ताओं की मौजूदगी रहेगी. होसबाले और आंबेकर दोनों ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रह चुके हैं. 

विश्व के सबसे सशक्त छात्र संगठन के रूप में ABVP

मुंबई विश्वविद्यालय के प्रो यशवंत राव केलकर  के प्रयास से 9 जुलाई, 1949 को अस्तित्व में आया यह छात्र संगठन बीते सात दशकों से देश में छात्र, शिक्षक, अभिभावक समेत आम लोगों के तमाम जरूरी आंदोलन  में अपनी भूमिका निभाता आ रहा है. पुस्तक को ABVP के इसी रचनात्मक, आंदोलनात्मक और प्रतिनिधित्वात्मक कार्यशैली से 'राष्ट्र-पुनर्निर्माण' के कार्य में निभाई जा रही अपरिहार्य भूमिका का दस्तावेज बताया जा रहा है. मौजूदा दौर में 3900 से अधिक इकाइयों, 2331 संपर्क स्थानों, 21 हजार शैक्षणिक परिसरों में काम कर रहे 32 लाख कार्यकर्ताओं और पूर्व में कार्यकर्ताओं की कई पीढ़ियों की पूरी मेहनत के चलते ABVP विश्व के सबसे सशक्त छात्र संगठन के रूप में उभरा है. 

75 साल का हो रहा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

यह पुस्तक ABVP की स्थापना, वैचारिक अधिष्ठान, संगठन के स्वरूप और विकास क्रम, छात्र आंदोलन की रचनात्मक दिशा, राष्ट्रहित में साहसिक प्रयास, राष्ट्रीय - शैक्षिक और सामाजिक मुद्दों पर ABVP के विचार, छात्र नेतृत्व, आयाम कार्य, प्रभाव, उपलब्धियों और वैश्विक पटल पर संगठन जैसे विषयों को अपने दोनों खंडों में समाहित करता है. इस वर्ष ABVP अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. यह पुस्तक 75 वर्षों के उसके सुनहरे इतिहास का उल्लेख करती है.
 
राष्ट्रीय विमर्श में लगातार बढ़ता प्रभाव

इस पुस्तक में इतिहास के बहुत से विशेष कालखंडों का उल्लेख किया गया है. इसमें युवाओं की विशेष भूमिका रही है. कश्मीर काल खंड, इमरजेंसी का दौर, बांग्लादेश घुसपैठ आंदोलन, चिकन नेक आंदोलन, नक्सलवाद  की समस्या जैसे कई महत्वपूर्ण इतिहास की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है. इनका वर्तमान राष्ट्रीय विमर्श में भी प्रभाव देखा जा सकता है. 

ABVP के कार्यकर्ता रहे देश के ये दिग्गज

ABVP के पूर्व कार्यकर्ताओं की सूची में सामाजिक ,राजनीतिक,सांस्कृतिक और पत्रकारिता के क्षेत्र में अग्रणी  भूमिका  निभाने वाली कई हस्तियां शामिल हैं.  पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, धर्मेंद्र प्रधान, पद्म श्री अशोक भगत, वरिष्ठ  पत्रकार रजत शर्मा, जम्मू कश्मीर के गवर्नर मनोज सिन्हा, अभिनेता पंकज त्रिपाठी समेत देश के कई दिग्गज हस्तियां ABVP के कार्यकर्ता रह चुके हैं.

राष्ट्रीय एकता-एकात्मता के लिए अनूठी पहल

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिए और मुख्यधारा से कटे लोगो को एकात्म करने के लिए समय समय पर कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं. उत्तर पूर्वी राज्यों के युवाओं को देश के अन्य हिस्सों की सभ्यता, संस्कृति से रूबरू कराने के लिए एबीवीपी दशकों से छात्र विनिमय कार्यक्रम (SEIL)  चलाती है. इसके तहत नॉर्थ ईस्ट के छात्र अन्य राज्यों में और अन्य राज्यों के छात्र उत्तर पूर्वी राज्यों में एक महीने के लिए जाते है. जहां वह स्थानीय नागरिकों के घरों में रह कर उनकी जीवन शैली को करीब से देखते हैं. इस योजना  ने  राष्ट्रीय एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

देश के सभी बड़े आंदोलनों में हमेशा आगे

जम्मू कश्मीर में धारा 370 के खिलाफ आंदोलन हो या असम में बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों के खिलाफ अक्टूबर 1983 में शुरू हुआ सबसे  बड़ा सत्याग्रह हो परिषद के आंदोलन मील के पत्थर साबित हुए हैं. राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत परिषद कार्यकर्ताओं ने समाज और राजनीति की दशा और दिशा बदलने में अग्रणी भूमिका निभाई है. चाहे वो 1973 में गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन हो या 1975 में आपातकाल के खिलाफ जन जागरण. ABVP  आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का सबसे अग्रणी छात्र संगठन था. उस दौरान परिषद के हजारों कार्यकर्ताओ को इंदिरा गांधी सरकार ने जेलों में बंद कर दिया था. उसके  बाद जो हुआ वो इतिहास ही बन गया. माओवादी और क्रूर कम्युनिस्टों के खिलाफ तेलंगाना, केरल में हुए आंदोलनों में सैकड़ों कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी. ये संघर्ष बदस्तूर जारी है.

 

महिलाओं से जुड़े मसलों पर सार्थक आंदोलन

संगठन में छात्राओं की भागीदारी बढ़ाने में भी विद्यार्थी परिषद ने काफी कोशिशें की हैं. 1961 में सुलभा देवघर परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य बनी और कालांतर में कई युवतियों ने बतौर पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनकर संगठन में काम किया. ये सिलसिला लगातर जारी है. अभी संगठन में तकरीबन 40 फीसदी महिला सदस्य हैं. इनमें से कई  राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष नेतृत्व प्रदान कर रही हैं. परिषद ने बालिका भ्रूण हत्या और महिला सुरक्षा आदि मसलों पर सार्थक आंदोलन खड़ा किया. इससे तत्कालीन सरकारों को अपनी नीतियों में बदलाव लाना पड़ा.

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छात्र आंदोलन पर शोध के लिए संदर्भ

वर्तमान में ABVP के विविध आयाम छात्रों के बीच काम कर रहे हैं. इस पुस्तक में उनके विकास की कहानी है. इस पुस्तक के माध्यम से संगठन की कार्यशैली और परिषद के 'राष्ट्र पुनर्निर्माण' के घोषित लक्ष्य को समझने का मौका समाज के सभी वर्गों को मिल सकेगा. पुस्तक के संपादक मनोज कांत के अनुसार,  “यह पुस्तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 70 वर्ष के इतिहास का ग्रंथ है, जिसे शोधार्थी छात्र आंदोलन पर शोध के लिए उपयोग कर सकेंगे. समय-समय पर शिक्षा क्षेत्र में कैसे परिवर्तन आए और विद्यार्थी परिषद ने क्या भूमिका निभाई वो इस पुस्तक में उल्लेखित है. यह पुस्तक मनुष्य निर्माण की उत्कृष्ट प्रक्रिया को उल्लेखित करती है. युवा पीढ़ी को अगर आशान्वित होना है तो वह इस पुस्तक को पढ़ें और जाने की कैसे 70 वर्षों के प्रयास से आने वाली पीढ़ियां राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही हैं.”