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सज्जन कुमार को फिर लगा सुप्रीम कोर्ट से झटका, खारिज की जमानत याचिका

1984 सिख क़त्लेआम में उम्रकैद की सज़ा काट रहे सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से एकबार फिर बड़ा झटका मिला है. बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर ज़मानत मांग रहे सज्जन की अर्जी को SC ने खारिज कर दिया है.

Updated on: 04 Sep 2020, 01:57 PM

नई दिल्ली:

1984 सिख क़त्लेआम में उम्रकैद की सज़ा काट रहे सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से एकबार फिर बड़ा झटका मिला है. बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर ज़मानत मांग रहे सज्जन की अर्जी को SC ने खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने उसकी अस्पताल में रखे जाने की मांग भी ठुकरा दी है. कोर्ट ने कहा, मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में रखना ज़रूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा,  ये कोई छोटा केस नहीं है.जब फिजिकल हियरिंग शुरू हो जाएगी, तब सज़ा दिये जाने के दिल्ली HC के आदेश के खिलाफ अर्जी पर सुनवाई करें.

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इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट सज्जन कुमार की अंतरिम मांग वाली याचिका ठुकरा चुका है. सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुये पीठ ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व नेता के नियमित जमानत के लिये दायर आवेदन पर जुलाई में विचार किया जायेगा. इसी मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे एक अन्य दोषी बलवान खोखर ने भी पेरोल पर रिहा करने का अनुरोध किया है. सीबीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और कुछ दंगा पीडितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जमानत की अर्जी का विरोध किया जबकि सज्जन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि अगर जेल में सज्जन कुमार को कुछ हो गया तो उम्र कैद की सजा उनके लिये मृत्यु दंड हो जायेगी.

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर 2018 को निचली अदालत का 2013 का फैसला पलटते हुये सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनायी थी जबकि एक अन्य दोषी बलवान खोखर की उम्र कैद की सजा अदालत ने बरकरार रखी थी. सज्जन कुमार और पूर्व पार्षद बलवान खोखर दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम इलाके में स्थित राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरूद्वारा जलाने की घटना से संबंधित मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. ये घटनायें एक-दो नवंबर, 1984 को हुयीं थी जब 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़के थे. उच्च न्यायालय ने इस मामले में पांच अन्य दोषियों की सजा भी बरकरार रखी थी.