आज रूस-यूक्रेन युद्ध का 26वां दिन है. दुनियाभर के देशों के दबाव और तमाम तरह के प्रतिबंधों के बाद भी रूस झुकता नजर नहीं आ रहा है. इसके उलट रूस ने अपने हमले और तेज कर दिए हैं. इन सबके बीच इस बात की चर्चा है कि रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने से पहले ही अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से अत्याधुनिक हथियार और मिसाइल यूक्रेन को सौंप दी गई थी. इन हथियारों को लेकर यह भी कहा गया कि कुछ हथियारों पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का नाम लिखा था. हालांकि, इसकी किसी भी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर घातक हथियार ही जब किसी को मारने या किसी देश को बर्बाद करने के लिए काफी है तो फिर इस तरह के चिढ़ाने वाले संदेश क्यों लिखे जाते हैं. ?
ये भी पढ़ें- मॉब लिंचिंग: बेतिया में बुलंदशहर जैसी घटना, भीड़ ने थाने में हवलदार को पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट
देखिए, कब किसने अपने हथियारों पर क्या लिखा
हथियारों पर चिढ़ाने वाले संदेश लिखने का सिलसिला बहुत पुराना है. दुनिया के सबसे विनाशकारी दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी बम और मिसाइलों में चिढ़ाने वाले संदेश खूब लिखे गए. तब मित्र देशों की तरफ से हिटलर के जर्मनी और उसके सहयोगी देशों पर किए जाने वाले हमलों के दौरान बम और मिसाइलों पर उन्हें चिढ़ाने वाले संदेश लिखे जाते थे. ब्रिटेन और अमेरिका के संग्रहालयों में आज भी ऐसे कई हथियारों के अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं. खास बात ये है कि इन संदेशों के जरिए युद्ध के साथ ही मजे लेने का खेल भी खूब खेला जाता है. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका की मशहूर सिंगर केट स्मिथ ने पनडुब्बी के टॉरपीडो पर हिटलर के लिए खास पैगाम लिखा था. इन पर उन्होंने लिखा था कैट की तरफ से हिटलर के लिए.
भारतीय सेना ने भी पाक पर बरसाए गए बमों पर लिखा था खास संदेश
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चिढ़ाने वाले संदेश लिखे थे. कारगिल युद्ध के वक्त 'फ्रॉम रवीना टंडन टू नवाज शरीफ' के पैगाम वाले एक बम की फोटो खूब छपीं और चर्चा हुई. दरअसल, इसके पीछे की एक कहानी यह बताई गई कि अच्छे दिनों में एक साक्षात्कार में नवाज शरीफ ने रवीना टंडन को अपनी पसंदीदा अदाकारा बताया था. लिहाजा, जब करगिल युद्ध में नवाज शरीफ ने भारत के पीठ में छुरा घोंका तब भारत के लड़ाकू विमानों ने 'फ्रॉम रवीना टंडन टू नवाज शरीफ' लिखे बम गिरा कर बदला लिया. इसके अलावा एक और बम की तस्वीर सामने आई थी, जिस पर हिंदी में लिखा था 'जोर का झटका धीरे से'
यह है चिढ़ाने वाले संदेश लिखने की वजह
दरअसल, झगड़े और लड़ाई में मानवीय स्वभाव एक दूसरे को शारीरिक और आर्थिक चोट पहुंचाने के साथ ही मानसिक चोट और दिलों पर आघात पहुंचाने की भी होती है. यही वजह है कि बच्चे भी जब लड़ाई करते हैं तो एक दूसरे को मारने के साथ ही एक दूसरे को गालियां भी देते हैं. ऐसा ही नजारा दो देशों की सेनाओं की भिड़ंत में भी देखा जाता है. सेना एक दूसरे को जानी और माली नुकसान पहुंचाने के साथ ही मानसिक आघात पहुंचाने के लिए अपने विरोधी देश के नेता और सेना प्रमुख के खिलाफ स्लोगन लिखे बम और मिसाइलों से हमला करते हैं.
HIGHLIGHTS
- जान-माल के नुकसान के साथ ही मानसिक पीड़ा पहुंचाना होता है उद्देश्य
- बमों और मिसाइलों पर लिखे जाते हैं एक दूसरे को चिढ़ाने वाले संदेश
- दूसरे विश्वयुद्ध में मित्र देशओं ने जर्मनी पर बरसाए थे स्लोगन लिखे बम