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यमन में मौत की सजा पाने वाली केरल की नर्स की जान बचाने के लिए वार्ताकार की भूमिका निभाएंगे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ

यमन में मौत की सजा पाने वाली केरल की नर्स की जान बचाने के लिए वार्ताकार की भूमिका निभाएंगे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ

Updated on: 15 Apr 2022, 10:25 PM

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम:

यमन में मौत की सजा पाने वाली केरल की नर्स निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ वार्ताकार की भूमिका निभाएंगे।

एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए दोषी ठहराई गई केरल निवासी निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई है और वह फिलहाल जेल में बंद है।

निमिषा की रिहाई के लिए काम कर रहे संगठन निमिषा बचाओ फोरम ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश कुरियन जोसेफ को इस मामले में वार्ताकार के तौर पर शामिल होकर निमिषा की मदद करने के लिए आगे आने की अपील की है और इसमें इसने कामयाबी भी हासिल कर ली है।

न्यायाधीश कुरियन जोसेफ अब वातार्कार के रूप में इस बात बात पर गौर करेंगे कि आखिर प्रिया की जान कैसे बचाई जा सकती है।

दिल्ली में संचालित फोरम यह देखने की कोशिश कर रहा है कि इस कठिन काम में सफलता कैसे हासिल की जा सकती है। वहीं जोसेफ ने कहा है कि उन्हें इसमें योगदान करने में खुशी हो रही है।

जोसेफ को जल्द ही पूर्व राजनयिकों की एक टीम मिलेगी और यदि आवश्यक हुआ तो वह यमनी नागरिक के परिवार से बात करने के लिए यमन की यात्रा करेंगे।

फोरम प्रिया की छोटी बेटी और उसकी मां को भी इस मुद्दे पर आगे लाने की तैयारी कर रहा है और वे एक आखिरी कोशिश के लिए यमन की यात्रा करने की भी तैयारी कर रहे हैं।

यमनी नियमों के अनुसार, निमिषा के लिए किसी भी प्रकार की राहत की एकमात्र संभावना यह है कि यदि तलाल महदी (मृतक, जिसकी मौत का आरोप निमिषा प्रिया पर लगाया गया है) का परिवार निमिषा को हर्जाने के तौर पर मोटी रकम मुहैया करा दे।

यमन के कानून के तहत ब्लड मनी (मृतक परिवार को धन के रूप में हर्जाना देकर सजा से मुक्ति) देकर भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को मौत की सजा से बचाया जा सकता है।

वहां के कानून के अनुसार, एक अपराधी या उसके परिजनों द्वारा पीड़ित के परिवार को मुआवजा देना ही ब्लड मनी कहलाता है।

हालांकि राजनयिक हस्तक्षेप को लेकर भी कुछ संभावनाएं जताई जा रही है और फोरम का लक्ष्य और उम्मीद यही है कि जोसेफ एक वार्ताकार के तौर पर पीड़ित के परिजनों को मना लें और निमिषा को मौत की सजा से मुक्ति मिल जाए।

पिछले महीने एक यमनी अदालत ने तलाल महदी की हत्या के मामले में प्रिया की अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें वह एक अन्य व्यक्ति के साथ मुख्य आरोपी हैं।

दोनों को 2017 में महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है।

पलक्कड़ की रहने वाली पेशे से नर्स निमिषा 2012 में अपने पति के साथ यमन पहुंची थी। 2015 में तलाल महदी की मदद से उन्होंने एक क्लिनिक की स्थापना की। तब तक उसका पति और उसका बच्चा घर लौट चुके थे।

जल्द ही, उसके और महदी के बीच मतभेद पैदा हो गए और निमिषा ने उस पर उसे प्रताड़ित करने और उसका पासपोर्ट छीन लेने का आरोप लगाया, जिससे उसकी भारत की यात्रा असंभव हो गई।

महदी की मौत जुलाई 2017 में शामक औषधि की अधिक खुराक की वजह से हुई थी। औषधि की खुराक निमिषा ने कथित तौर पर इंजेक्शन के जरिए दी थी, ताकि वह अपना पासपोर्ट हासिल कर सके, क्योंकि पासपोर्ट महदी के कब्जे में ही था।

25 जुलाई, 2017 को, उसने उसे बेहोश करने और अपना पासपोर्ट वापस लेकर वहां से भागने के उद्देश्य से शामक का इंजेक्शन लगाया था।

लेकिन परिस्थिति प्रिया के हिसाब से नहीं रही और शामक का इंजेक्शन दिए जाने के बाद पीड़ित की मौत हो गई।

यह महसूस करते हुए कि महदी की मृत्यु हो गई है, उसने दूसरे व्यक्ति की मदद से उसके शरीर को ठिकाने लगा दिया। महदी के शरीर को टुकड़ों में काट दिया गया था और पानी की टंकी में डाल दिया गया था।

चार दिन बाद, अपराध सभी के सामने आया और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि दूसरे व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.