निजता के अधिकार पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
निजता के अधिकार पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
highlights
- निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
- निजता मौलिक अधिकार है या नहीं इस पर 9 जजों की पीठ कर रही थी सुनवाई
नई दिल्ली:
निजता मौलिक अधिकार है या नहीं इस पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पिछले कई दिनों से सुनवाई चल रही थी।
निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट में पक्ष और विपक्ष में कई तरह की दलीलें दी गईं। वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के दायरे में लाने की दलील देते हुए कहा निजता कई अधिकारों का गुच्छा है।
ये अधिकार विधायी और सामान्य कानूनों से संरक्षित नहीं हो सकते। वरिष्ठ वकील दीवान के इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा डेटा जिस मकसद से लिया जाता है उसी के लिए उसका इस्तेमाल होना चाहिए कहीं और नहीं।
गुजरात सरकार ने इस मामले को लेकर दलील दी कि निजता को अनुच्छेद 21 के दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए क्योंकि सामान्य जानकारी देना निजता के अधिकार के दायरे में नहीं आ सकता।
गुजरात सरकार के इस दलील पर जजों की पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा निजता के तीन जोन हैं। पहला जोन आतंकरिक जोन है जिसके तरत शादी, बच्चे पैदा करने जैसी चीजे शामिल हैं। दूसरा जोन है निजी बातें जो व्यक्ति किसी से शेयर करना नहीं चाहता जैसे कि बैंको को अपनी जानकारी देना जसिमें व्यक्ति चाहता है कि बैंक उसका उसी मकसद से सिर्फ इस्तेमाल करे। निजता का तीसरा जोन है पब्लिक जोन जिसके तहर निजता का सबसे कम संरक्षण होता है लेकिन इसमें भी मानिक और शरीर से जुड़ी बाते निजी होती है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा भारत आर्थिक रूप में एक बड़ी शक्ति वाला देश है ऐसे में निजता के संरक्षण की बात तो होनी चाहिए लेकिन इस बात का ध्यान भी रखा जाना चाहिए कि ज्ञान और नए सृजन की जरूरतों को दबाया ना जाए। बहस के दौरान वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा अगर जानकारी किसी को हानि ना पहुंचा रहा हो या वो जानकारी हानिकारक भी ना हो तो उसे सार्वजनिक करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
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इस मामले में वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार में लाने की वकालत करते हुए कहा इसके लिए संविधान में जो शब्द लिखे गए है उसके व्यापक व्याक्या की जरूरत है।
बहस में पंजाब का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा राज्य और तकनीक लगातार व्यापक हो रहे हैं ऐसे में निजता जरूरी है। कपिल सिब्बल की दलील पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा निजता तो अधिकार है लेकिन स्वतंत्रता तो उससे बड़ा अधिकार है और ज्यादातर अमेरिकी जजमेंट सूचनात्मक निजता की बात करता है और हम संवैधानिक निजता के अधिकार की बात करते हैं। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनिश्चित रख लिया है।
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