इंजीनियर बनना चाहता था रियाज नाइकू, बन गया खूंखार आतंकवादी
एक गांव में आतंकियों की घेराबंदी कर हिज्बुल के टॉप कमांडर रियाज नायकू को मौत के घाट उतार दिया. यह वहीं रियाज नायकू है जिसपर 12 लाख रुपये का इनाम था.
नई दिल्ली:
सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के सबसे बड़े दुश्मनों का काम तमाम कर दिया है. अवंतीपोरा (Awantipora) के पास एक गांव में सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को घेर कर उन्हें ढेर कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक इन तीन आतंकियों में रियाज नायकू (Reyaz Naikoo) भी शामिल है. सुरक्षा बलों ने पुलवामा के अवंतीपुरा में यह दिखा दिया, जहां एक गांव में आतंकियों की घेराबंदी कर हिज्बुल के टॉप कमांडर रियाज नायकू को मौत के घाट उतार दिया. यह वहीं रियाज नायकू है जिसपर 12 लाख रुपये का इनाम था और वो तब से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था. साल 2016 में जब आतंक के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी को ढेर किया गया था. ये बुरहान वानी गैंग का आखिरी चेहरा था, जिसकी तलाश हिंद के जवानों को लंबे समय से थी. दरअसल, सुरक्षाबलों को जानकारी मिली थी कि तीन आतंकी पुलवामा (Pulwama) के शरशाली इलाके में छिपे हुए हैं. जवानों ने पूरे इलाके की घेराबंदी की. इसके बाद शुरू हुई मुठभेड़ में तीनों आतंकियों का काम तमाम कर दिया गया. रियाज नायकू का खात्मा कश्मीर को आतंक मुक्त बनाने की ओर बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है.
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कौन था रियाज़ नाइकु
- हिज़्बुल का टॉप कमांडर, मोस्ट वांटेड और 12 लाख का इनामी रियाज नायकू ए++ श्रेणी का आतंकवादी था
- पुलिस वालों और उनके परिवार से जुड़े लोगों का अपहरण, आतंकियों के मरने पर उन्हें गन सैल्यूट देना, ऑडियो मैसेज जारी कर टेरर फैलाना और कई बार एनकाउंटर के बीच से बच निकलना नाइकु की ख़ासियत थी
- 35 साल का नाइकु 2010 से पहले मैथ्स टीचर हुआ करता था
- नायकू इंजीनियर बनना चाहता था. वह मैथ्स में अच्छा था और उसे कंस्ट्रक्शन के काम में भी रुचि थी
- 12वीं में 600 में से 464 नंबर आए थे. इसके बाद वह प्राइवेट स्कूल में मैथ्स का टीचर बन गया
- 2010 में एक प्रदर्शन के दौरान 17 साल के अहमद मट्टो की आंसू गैस का गोला लगने से मौत हो गयी
- इस मौत के बाद पूरी घाटी सुलगने लगी, जिसके बाद कई लोगों को पुलिस ने पकड़ा
- पुलिस ने तब नायकू को भी पकड़ा था, लेकिन दो साल बाद 2012 में उसे छोड़ दिया गया
- जेल से बाहर आने के बाद मैथ्स का टीचर नाइकु पूरी तरह से बदल चुका था
- 2012 की ही एक रात भोपाल यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई के एडमिशन के लिए उसने पिता से 7 हजार रुपये लिए
- उस रात के बाद वह कभी नहीं दिखा. महीने भर बाद पिता को पता चला कि बेटा आतंकी बन गया है
- नाइकु 2012 में ही आतंकी संगठन हिज़्बुल में शामिल हो गया. जल्द ही इसने संगठन में अपनी पहचान बना ली और कश्मीर के कई युवाओं को आतंक की राह पर चलाया
- पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए इसने उनके अपहरण की नई शुरुआत की थी. साउथ कश्मीर में 6 पुलिसवालों के घर से 11 फैमिली मेंबर को अगवा कर लिया गया था. हालांकि सभी को बाद में छोड़ दिया गया. बदले में नायकू के पिता को पुलिस कस्टडी से छुड़वाया गया था
- नायकू ने ही गन सैल्यूट फिर से शुरू करवाया था. इसे आतंकी अपने कमांडर की मौत पर देते हैं. इसमें मरे हुए आतंकियों के अंतिम संस्कार के दौरान हवा में गोली चलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है
- 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद वहां के लोगों के लिए आतंक का नया चेहरा बन गया था.
- अवंतीपोरा का रहने वाला 35 साल के नाइकु को पिछले साल ही आतंकी सबजार भट की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बनाया गया था
- नाइकु पहले कई बार पुलिस से बचने में कामयाब रहा है.इससे पहले भी उसे कई बार घेरा गया था, लेकिन वह बचकर निकलने में कामयाब हो जाता था
- पिछले साल नायकू तब चर्चा में आया जब उसने एक वीडियो पोस्ट किया था. वीडियो में उसने कश्मीरी पंडितों का घाटी में स्वागत किया और कहा कि वे लोग (आतंकी) पंडितों के दुश्मन नहीं हैं.
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क्यों शुरू हुआ ऑपरेशन ऑल आउट
साल 2016 में कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद पैदा हुए हालात में जिस तरह से स्थानीय और विदेशी आतंकियों ने अपना नेटवर्क मजबूत बनाते हुए नयी भर्ती शुरू की थी. उसे देखते हुए सेना, राज्य पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद आतंकियों की नकेल कसने का निर्देश दिया था. साल 2017 की शुरुआत में कश्मीर घाटी में पाकिस्तान और स्थानीय आतंकियों के बड़े पैमाने पर सक्रिय होने के बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के द्वारा संयुक्त रूप से ऑपरेशन ऑल आउट की शुरुआत की गई थी. ऑपरेशन ऑल आउट का मूल मंत्र है सूचना, समन्वय, सजगता और प्रहार. इसके तहत सभी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के साथ साथ नागरिक प्रशासन में पूरा समन्वय बनाए रखते हुए सूचनाओं के आदान-प्रदान को यकीनी बनाया गया है.
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ऑपरेशन ऑल ऑउट ने आतंकी संगठनों की कमर तोड़ी
हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर ए तैइबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के टॉप कमांडर मारे गए हैं. इससे इन संगठनों की कमर टूटी है. मई 2019 में बुरहान वानी के बाद कश्मीर में आतंक का पोस्टर बॉय ज़ाकिर मूसा मारा गया था. ज़ाकिर मूसा हिज़्बुल का पूर्व कमांडर था जो बाद में अल क़ायदा से जुड़ गया था. इससे पहले 2018 में कई बड़े आतंकी मारे गए, जिनमें सब्जार अहमद भट्, अबू दुजाना, जुनैद मट्टू, अबू मुसैब, अजहर खान, सज्जाद लोन, मुज्जफर अहमद वानी, शौकत लौहार, बशीर लश्करी, अबू लल्हारी, अब्दुल क्यूम नाजर, यासिन इट्टू, परवेज अहमद वानी, उमर खालिद, तल्हा राशिद, मोहम्मद भाई, अबू जरगम, महमूद भाई शामिल था.
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