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PM नरेंद्र मोदी( Photo Credit : twitter handle)
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PM नरेंद्र मोदी( Photo Credit : twitter handle)
पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य (Bhakti Saint Sri Ramanujacharya) की स्मृति में 216 फीट ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' को राष्ट्र को समर्पित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि आज मां सरस्वती की आराधना के पावन पर्व, बसंत पंचमी का शुभ अवसर है मां शारदा के विशेष कृपा अवतार श्री रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा इस अवसर पर स्थापित हो रही है. मैं आप सभी को बसंत पंचमी की विशेष शुभकामनाएं देता हूं. पीएम ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है. रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है.
उन्होंने कहा कि ये भी एक सुखद संयोग है कि श्री रामानुजाचार्य जी पर ये समारोह उसी समय हो रहा है, जब देश अपनी आजादी के 75 साल मना रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव में हम स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहे हैं, आज देश अपने स्वाधीनता सेनानियों को कृतज्ञ श्रद्धांजलि दे रहा है.
आज देश में एक ओर सरदार साहब की ‘Statue of Unity’ एकता की शपथ दोहरा रही है, तो रामानुजाचार्य जी की ‘Statue of Equality’ समानता का संदेश दे रही है।
— BJP (@BJP4India) February 5, 2022
यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है।
- पीएम @narendramodi pic.twitter.com/Ttv8iWbWVS
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा ना केवल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी बल्कि भारत की प्राचीन पहचान को भी मज़बूत करेगी. उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जिसके मनीषियों ने ज्ञान को खंडन-मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर देखा है. हमारे यहां अद्वैत भी है, द्वैत भी है. इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुये श्रीरामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी है.
उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य जी के ज्ञान की एक अलग भव्यता है. साधारण दृष्टि से जो विचार परस्पर विरोधाभासी लगते हैं. रामानुजाचार्य जी उन्हें बड़ी सहजता से एक सूत्र में पिरो देते हैं. एक ओर रामानुजाचार्य जी के भाष्यों में ज्ञान की पराकाष्ठा है, तो दूसरी ओर वो भक्तिमार्ग के जनक भी हैं. एक ओर वो समृद्ध सन्यास परंपरा के संत भी हैं, और दूसरी ओर गीता भाष्य में कर्म के महत्व को भी प्रस्तुत करते हैं.
पीएम ने कहा कि आज जब दुनिया में सामाजिक सुधारों की बात होती है, प्रगतिशीलता की बात होती है, तो माना जाता है कि सुधार जड़ों से दूर जाकर होगा. लेकिन, जब हम रामानुजाचार्य जी को देखते हैं, तो हमें अहसास होता है कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है.यह ज़रूरी नहीं है कि सुधार के लिए अपनी जड़ों से दूर जाना पड़े बल्कि ज़रूरी यह है कि हम अपनी असली जड़ों से जुड़ें, अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित हों.
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पीएम ने कहा कि आज से एक हजार साल पहले तो रुढ़ियों और अंधविश्वास का दबाव कितना ज्यादा रहा होगा लेकिन रामानुजाचार्य जी ने समाज में सुधार के लिए समाज को भारत के असली विचार से परिचित कराया. मोदी ने कहा कि आज रामानुजाचार्य जी की विशाल मूर्ति Statue of Equality के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है. इसी संदेश को लेकर आज देश 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास' के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भी एक सुखद संयोग है कि आज देश में एक ओर सरदार साहब की 'Statue of Unity' एकता की शपथ दोहरा रही है, तो रामानुजाचार्य जी की 'Statue of Equality' समानता का संदेश दे रही है. यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है.
इस प्रतिमा का निर्माण 34 एकड़ में किया गया है. पंचरात्र आगम शास्त्र के विद्वान मुदुम्बई मधुसूदनाचार्य स्वामी की देखरेख में मुख्य यज्ञशाला और आसपास की 144 यज्ञशालाओं का निर्माण किया गया. चार दिशाओं में प्रत्येक में 36 मंदिर हैं. यज्ञशालाओं में 1,035 हवन कुंड बनाए गए हैं.