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फारूक अब्दुल्ला vs राकेश सिन्हा( Photo Credit : न्यूज नेशन )
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फारूक अब्दुल्ला vs राकेश सिन्हा( Photo Credit : न्यूज नेशन )
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर विवादित बयान दिया हैं. उन्होंने कहा कि इसकी बहाली में चीन से मदद मिल सकती है. इसके अलावा फारूख अब्दुला ने कहा कि मोदी सरकार के इस कदम का समर्थन करने वाले गद्दार हैं. वहीं, इनके इस बयान पर बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम ने कहा, मैं देश के उन समस्त मुसलमानों को पूछना चाहता हूं कि जो हमें राष्ट्रवाद की पाठ पढ़ाते हैं कि वह फारूक अब्दुल्ला के बयान पर क्या कहेंगे.? कहां है राष्ट्रभक्ति? फारुख अब्दुल्ला कि राष्ट्र विरोधी मानसिकता सामने आ गई है. इनको देश से कोई प्यार नहीं है इनको राष्ट्रवाद में कोई भरोसा नहीं है. 370 भारत का अंदरुनी मामला है इसमें चीन पाकिस्तान का क्या लेना देना है. फारूक अब्दुल्ला का यह बयान राष्ट्र विरोधी है. उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस को भी कहना चाहूंगा कि जब भी पाकिस्तान और चीन के साथ ऐसी स्थिति आती है ये दोनों पार्टियां एक ही तरह का बयान क्यों देती हैं.
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फारूख अब्दुला के इस बयान पर राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने देशद्रोही बयान बताया हैं. उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला पुराने नेता हैं वह मुख्यमंत्री रह चुके हैं लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और सत्ता के लिए संप्रभुता से समझौता कर रहे हैं. गोली से ज्यादा बोली का हमला खतरनाक होता है. राकेश सिन्हा ने कहा कि उनकी मंशा सामने आ गई है. कल तक पाकिस्तान की तरफदारी कर रहे थे. अब चीन की कर रहे हैं. माफी मांगने से काम नहीं चलेगा सीधे तौर पर देशद्रोह है. फारूक अब्दुल्ला जाकर चीन की नागरिकता ले ले वहां बस जाएं.
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राज्यसभा सांसद ने कहा कि फारूख अब्दुला को ना संविधान मालूम है ना देश की संप्रभुता मालूम है और ना ही इस देश की राजनीतिक व्यवस्था को समझते हैं. यह संप्रभुता पर हमला है. फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान की तरह ही भारत को भी चीन का उपनिवेश बनाना चाहते हैं. इस देश में कांग्रेस पार्टी और उनके मित्र दल के लिए संप्रभुता का कोई महत्व नहीं है. सिर्फ सत्ता का महत्व है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
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दरअसल, फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि एलएसी पर जो भी तनाव के हालात बने हैं, उसका जिम्मेदार केंद्र का वो फैसला है जिसमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था. उन्होंने कहा, चीन ने कभी भी अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले का समर्थन नहीं किया है और हमें उम्मीद है कि इसे (आर्टिकल 370) को फिर से चीन की ही मदद से बहाल कराया जा सकेगा.
Source : News Nation Bureau