LAC पर चीन की करतूतों को लेकर रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुख के साथ हुई बैठक, LAC पर भारत बढ़ाता रहेगा सैनिक
भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने हैं. दोनों अपने-अपने मोर्चे पर डटी है.
नई दिल्ली:
भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने हैं. दोनों अपने-अपने मोर्चे पर डटी है. एलएससी पर पैदा हुए हालात को लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के साथ तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की. बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत भी मौजूद थे. मीटिंग में एलएसी के जमीनी हालत पर चर्चा की गई.
दरअसल, लद्दाख में चीन के बढ़ते कदम को देखते हुए भारत भी अपनी सेना की तैनाती इस क्षेत्र में बढ़ाने का फैसला लिया है. चीन लगातार एलएसी पर सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है. चीन के इस कदम का जवाब भारत भी मुंहतोड़ तरीके से देर रहा है.
भारत संप्रभुता के साथ समझौता बर्दाश्त नहीं करेगा
सूत्रों ने बताया कि चार घंटे से ज्यादा वक्त तक महामंथन हुआ जिसमें रक्षा मंत्री ने चीन की तरफ से सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर भारत की प्रतिक्रिया का खाका पेश किया गया. बैठक में यह भी कहा गया है कि संघर्षविराम की बात चीन के साथ चलती रहेगी.लेकिन भारतीय संप्रभुता के साथ समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बैठक में यह भी चर्चा हुई है कि इलाके में सड़क निर्माण का कार्य चलता रहना चाहिए.
5 मई को भारतीय सेना और चीनी सेना में हुई थी झड़प
उल्लेखनीय है कि पांच मई को पेगोंग त्सो झील इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई और लोहे की छड़ों, डंडों और यहां तक की पत्थरों से हमला किया गया और इसमें दोनों पक्षों के जवानों को चोटें आई. एक अलग घटना में नौ मई को 150 भारतीय और चीनी सैनिक सिक्किम के नाकू ला दर्रे के पास आमने-सामने आ गए जिसमें से कम से कम 10 जवान चोटिल हुए थे. गौरतलब है कि 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा और दोनों परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसियों के बीच युद्ध की आशंका पैदा हो गई थी.
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चीन अरुणाचल प्रदेश और दक्षिण तिब्बत को अपना हिस्सा बताता है
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद है और चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है जबकि भारत का स्पष्ट रुख है कि यह देश का अभिन्न हिस्सा है. चीन ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के फैसले की आलोचना की थी और खासतौर पर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर आलोचना की थी. चीन लद्दाख के कई हिस्सों पर अपना हक जताता है.
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