New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2021/07/05/rahul-gandhi-14.jpg)
याचिकाकर्ता ने धार्मिक स्थलों के दौरे को बताया कानून विरुद्ध.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
याचिकाकर्ता ने धार्मिक स्थलों के दौरे को बताया कानून विरुद्ध.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
राजस्थान हाई कोर्ट ने चुनाव के दौरान नेताओं के धार्मिक स्थलों के दौरे को लेकर एक जनहित याचिका पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है. याचिका में मांग की गई है कि चुनाव के नोटिफिकेशन के दौरान उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के नेताओं को किसी भी समुदाय के किसी भी मंदिर, मस्जिद, चर्च, आश्रम, मठ और अन्य पूजा स्थलों पर जाने से प्रतिबंधित किया जाए. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने संत वैदेही बलभ देव आचार्य जी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों द्वारा चुनाव प्रचार में जाति और धर्म का उपयोग सिर्फ मतदाताओं से अपने पक्ष में करने के लिए किया जाता है. ये चुनावी अपराध है.
याचिका में कहा गया नेता कर रहे वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता के वकील मोती सिंह ने अदालत को बताया कि राजनीतिक दल और उनके नेता जानबूझकर वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं और चुनाव के दौरान वे लगातार धार्मिक संस्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, आश्रम, मठ का दौरा करते हैं. गुजरात और कर्नाटक राज्य विधानमंडल चुनावों में, राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों सहित विभिन्न दलों के कई नेताओं ने मंदिरों और सनातन धर्म के धार्मिक मठ का दौरा किया. ये सब मतदाताओं से उनके पक्ष में एक सीधी अपील थी.
यह भी पढ़ेंः Congress के गले की हड्डी बनी कैप्टन-सिद्धू रार, आसान नहीं अमरिंदर को नाराज करना
कानूनन इसकी अनुमति नहीं है
उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक दल और उनके नेता चुनाव में लाभ के लिए धार्मिक संस्थानों का उपयोग करते हैं, जबकि, क़ानून में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा कि चुनाव नियमों के तहत किसी विशेष जाति द्वारा उपनाम और पहचान का उपयोग करने की अनुमति नहीं है, लेकिन उम्मीदवारों ने अपनी जाति की पहचान के साथ अपना नाम प्रकाशित किया है और यह उस नाम से भी अलग है जो रजिस्टर्ड है. याचिका में चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक निर्देश देने की प्रार्थना की गई है.
HIGHLIGHTS