राहुल गांधी ने किया संसदीय मर्यादा का उल्लंघन, स्पीकर की अनुमति के बिना रखवाया 2 मिनट का मौन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोक सभा में संसदीय मर्यादा का उल्लंघन किया. उन्होंने स्पीकर की अनुमति के बिना कृषि कानूनों के खिलाफ हुए प्रदर्शन में किसानों की मौत पर 2 मिनट के लिए मौन रखवाया.
नई दिल्ली:
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को लोक सभा में संसदीय मर्यादा का उल्लंघन किया. उन्होंने स्पीकर की अनुमति के बिना ही किसान आंदोलन में मारे गए लोगों के लिए 2 मिनट का मौन रखवाया. इस बात से स्पीकर खासे नाराज हुए. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा को चलाने की जिम्मेदारी उनकी है. ऐसे में अगर राहुल गांधी को मौन रखवाना भी तो पहले इसकी अनुमति लेनी चाहिए थी. राहुल गांधी के इस काम से लोकसभा स्पीकर खासे नाराज बताए जा रहे हैं. स्पीकर ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. संसदीय मर्यादा तोड़ने पर उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी आप लोगों ने मुझे सौंपी है. इसलिए मुझे तय करने दीजिए.
लोकसभा में राहुल गांधी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलना था. जब उन्होंने अपनी बात रखनी शुरू की तो कहा कि 'मैं बजट पर टिप्पणी नहीं करूंगा और प्रदर्शन के तौर पर बजट पर नहीं बोलूंगा. मैं आज सिर्फ किसान के मुद्दे पर बोलूंगा, जो किसान शहीद हुए हैं उन लोगों को सदन में श्रद्धांजलि नहीं दी गई है. मैं भाषण के बाद दो मिनट के लिए किसानों के लिए मौन रहूंगा. आप मेरे साथ खड़े हो जाइए.' इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने मौन धारण किया.
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जैसे ही राहुल गांधी ने अपना मौन समाप्त किया, स्पीकर ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. संसदीय मर्यादा तोड़ने पर उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी आप लोगों ने मुझे सौंपी है. इसलिए मुझे तय करने दीजिए. इसके बाद राहुल गांधी ने लोक सभा से वॉकआउट किया. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के इस काम से स्पीकर खासे नाराज हैं.
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कृषि कानूनों के कंटेंट और इंटेंट पर की बात
राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कृषि कानूनों के कंटेंट और इंटेंट की बात की थी. राहुल गांधी ने कहा कि पहले कानून का कंटेंट है कि कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी कितना भी अनाज, फल और सब्जी खरीद सकता है. अगर ऐसा होगा तो मंडी में कौन जाएगा. पहले कानून का लक्ष्य मंडी को खत्म करना है.' इसके बाद राहुल गांधी ने कहा, 'दूसरे कानून का कंटेंट आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म कर जमाखोरी को बढ़ावा देना है. जबकि तीसरे कानून का कंटेंट किसानों को सही कीमत के मुद्दे पर अदालत जाने का अधिकार नहीं दिया गया है.'
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