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लोकसभा चुनाव

CAG की रिपोर्ट में ‘देरी’ पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल, दिखाई 'गिरावट'

राहुल गांधी ने कैग की रिपोर्ट में कथित तौर पर विलंब का मुद्दा उठाया और सोशल मीडिया पर एक तालिका साझा करते हुए ‘केज्ड’ (पिंजरे में बंद) शब्द का इस्तेमाल किया.

Updated on: 11 Mar 2021, 11:19 AM

highlights

  • कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने साधा कैग पर निशाना
  • रिपोर्ट में देरी पर उठाए सवाल और दिखाई गिरावट
  • कैग के लिए किया 'पिंजरे में बंद' शब्द का इस्तेमाल 

नई दिल्ली:

तमाम मसलों पर मोदी सरकार (Modi Government) को घेरते आ रहे और संस्थाओं के नष्ट होने का आरोप लगा रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक बार फिर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) पर निशाना साधा है. उन्होंने कैग की रिपोर्ट में कथित तौर पर विलंब का मुद्दा उठाया और सोशल मीडिया पर एक तालिका साझा करते हुए ‘केज्ड’ (पिंजरे में बंद) शब्द का इस्तेमाल किया. राहुल गांधी ने ट्विटर पर अपनी पोस्ट में तालिका साझा की जिसमें 2011-12 से रिपोर्ट तैयार करने में कैग की ओर से लिए गए समय का उल्लेख किया गया है. कांग्रेस (Congress) नेता ने जो तालिका साझा की उसमें यह भी दर्शाया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में कैग की रिपोर्ट में 18-24 महीने का समय लगा या वे फिर लंबित हैं. 

कैग रिपोर्ट में आई गिरावट
एक खबर में कहा गया है कि आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी के मुताबिक 2015 से 2020 के बीच कैग की रिपोर्ट में 75 फीसदी की गिरावट आई है. साल 2015 में कैग ने 55 रिपोर्ट्स पेश की थी, लेकिन 2020 तक इसकी संख्या घटकर महज 14 रह गई है. इस तालिका के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए सीएजी ने 12 से 18 और 18 से 24 महीने में रिपोर्ट तैयार की या वो अब तक लंबित हैं. राहुल ने हालांकि उस तालिका का स्रोत नहीं बताया. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले पांच वर्षों में देश के सर्वोच्च ऑडिट संस्था द्वारा रिपोर्ट की संख्या में काफी कमी आई है.

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अनुदान का हिसाब-किताब नहीं
गौरतलब है कि प्रदेश के दर्जनों विभागों का आलम यह है कि सरकार से सहायता अनुदान लेने के बावजूद खर्च का हिसाब नहीं दे रहे हैं. 31 मार्च 2019 को अनुदान संबंधित 23,832 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब यानी उपभोग प्रमाणपत्र (यूसी) विभागों को दे देना था. यह खुलासा सीएजी की वित्तीय वर्ष 2018-19 से संबंधित वित्त लेखे खंड-एक की रिपोर्ट से हुआ है. इसे मंगलवार को विधान परिषद के पटल पर रखा गया. वर्षों पूर्व दिए गए अनुदान का हिसाब-किताब नहीं दिए जाने से अनुदान के गलत उपभोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.