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राहुल गांधी का पीएम मोदी पर वार- जो लोग सच्चाई के लिए लड़ते हैं उन्हें ना तो डराया जा सकता है और ना तो....

एक बार फिर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जुबानी वार करते हुए कहा कि हर एक व्यक्ति को डराया जा सकता है.

Updated on: 08 Jul 2020, 06:16 PM

नई दिल्ली :

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कोरोना वायरस और चीन के मुद्दे को लेकर लगातार मोदी सरकार पर वार कर रहे हैं. लगातार वो ट्विटर के जरिए पीएम मोदी (PM Modi) पर हमला बोल रहे हैं. एक बार फिर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जुबानी वार करते हुए कहा कि हर एक व्यक्ति को डराया जा सकता है.

राहुल गांधी ने कहा, ' मिस्टर मोदी को विश्वास है कि जैसे वो हैं वैसी ही दुनिया है. वो सोचते हैं कि हर व्यक्ति की कीमत है और उसे डराया जा सकता है. लेकिन वो नहीं समझते हैं कि जो लोग सच्चा के लिए लड़ते हैं ना तो उनकी कीमत लगाई जा सकती है और ना ही डराया जा सकता है. '

दरअसल, मोदी सरकार ने बुधवार को राजीव गांधी फाउंडेशन सहित नेहरू-गांधी परिवार से संबंधित तीन न्यासों द्वारा धनशोधन और विदेशी चंदा सहित विभिन्न कानूनों के कथित उल्लंघन के मामलों की जांच में समन्वय के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित कर दी.

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यह फैसला करीब दो हफ्ते बाद लिया गया है जब बीजेपी ने कहा था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से धन प्राप्त हुआ है. यह आरोप लद्दाख में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के बीच गतिरोध के मध्य उठा था.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक अंतर-मंत्रालयी टीम का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक विशेष निदेशक करेंगे. प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), आय कर कानून, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के विभिन्न कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने के मामलों में जांच में समन्वय के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की है.’ उन्होंने कहा, ‘अंतर-मंत्रालयी टीम का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशालय के एक विशेष निदेशक करेंगे.’

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कुछ वर्ष पहले राजीव गांधी फाउंडेशन के चीनी दूतावास से कोष प्राप्त करने को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया था कि क्या यह भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए पक्ष जुटाने के क्रम में दी गई “रिश्वत’’ थी.