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नीति आयोग से बोले हेमंत- विकास में पिछड़ गया है झारखंड, केंद्र ज्यादा से ज्यादा दे मदद

नीति आयोग से बोले हेमंत- विकास में पिछड़ गया है झारखंड, केंद्र ज्यादा से ज्यादा दे मदद

Updated on: 12 Jul 2023, 10:20 PM

रांची:

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को नीति आयोग से कहा कि झारखंड उन राज्यों में है, जो विकास की दौड़ में पिछ़ड़ गए हैं। विकास की गति को तेजी देने के लिए केंद्र से ज्यादा से ज्यादा मदद मिलनी चाहिए। देश और राज्य तभी आगे बढ़ेंगे, जब हम साथ मिलकर चलें।

सीएम ने बुधवार को झारखंड के दौरे पर आई नीति आयोग की टीम के साथ रांची में हुई बैठक में राज्य को कोयले पर केंद्र से मिलने वाली रॉयल्टी की राशि बढ़ाने और कोयला कंपनियों द्वारा ली गई जमीन के एवज में बकाया मुआवजे के भुगतान की मांग प्रमुखता के साथ उठाई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न कोयला कंपनियों का जमीन अधिग्रहण को लेकर लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाना है। लेकिन, राज्य सरकार और रैयतों को मात्र 2532 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया गया है। उन्होंने झारखंड का पक्ष रखते हुए कहा कि कोयला कंपनियां राज्य में जितनी जमीन अधिग्रहित करती हैं, उसका मुआवजा मिलना चाहिए, भले ही उस पर खनन कार्य हो रहा हो अथवा नहीं हो रहा हो।

बैठक में सहमति बनी कि कोयला कंपनियों ने राज्य में कितनी जमीन अधिग्रहित की है और इसके एवज में कितना मुआवजा दिया गया है, इसकी पूरी रिपोर्ट कोयला मंत्रालय जल्द सौंपेगा।

बैठक में झारखंड सरकार की ओर से नीति आयोग के समक्ष यह मांग भी रखी गई कि राज्य में खनन कर रही कोल कंपनियां जब तक किसी कोल माइंस में पूरी तरह उत्पादन बंद करने का सर्टिफिकेट नहीं देती है, तब तक नई जगह पर उन्हें कोयला खनन की इजाजत नहीं मिले। झारखंड सरकार ने राज्य की कोयला खदानों में लगी भूमिगत आग के मुद्दे को भी आयोग के समक्ष रखा और इसपर नियंत्रण के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया।

राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग को अवगत कराया गया कि झारखंड में साहिबगंज से रांची तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस बनाया जाना है। इसकी लागत लगभग 9 हज़ार करोड़ रुपए है। इसके अलावा राज्य में 8 नए कॉरिडोर भी बनाए जाएंगे, जिसकी लंबाई लगभग 16 सौ किलोमीटर होगी। यह झारखंड के जिलों को जोड़ने के साथ दूसरे राज्यों से भी जुड़ी होगी। राज्य सरकार की ओर से ये दोनों प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए हैं। इन प्रस्तावों को केंद्र जल्द से जल्द मंजूरी दे।

मुख्यमंत्री ने फूड सिक्योरिटी का मुद्दा भी आयोग के समक्ष उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से लाभुकों का जितना कोटा तय है, उससे कहीं ज्यादा संख्या में लाभुकों को राशन की जरूरत है। इसलिए राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राशन कार्ड जारी किए हैं और उनके लिए अनाज सरकार को बाजार से खरीदना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि राज्य के राशन कार्डधारियों के लिए एफसीआई से अनाज उपलब्ध कराया जाए। नीति आयोग की ओर से झारखंड सरकार द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सकारात्मक पहल करने का आश्वासन मिला। आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल ने कहा कि नीति आयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच सेतु का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन और रागी उत्पादन के फील्ड में काफी बेहतर कार्य कर रही है।

बैठक में आयोग के वरीय सलाहकार नीरज सिन्हा, सलाहकार नीलम पटेल, डॉ. अमृत कॉल पॉल, डॉ. अशोक ए, डॉ. थ्यागराजू, सुमन सौरभ, नमन अग्रवाल और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव वंदना दादेल सहित कई उच्चाधिकारी मौजूद रहे।

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