पेगासस जासूसी मामले को लेकर संसद में बवाल मचा हुआ है. विपक्ष इस मुद्दे पर संसद में बहस की मांग कर रहा है. भारत में इसके जरिए कई पत्रकारों और चर्चित हस्तियों के फोन की जासूसी करने का दावा किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने राज्यसभा में पेगासस से जुड़े सवाल को खारिज करने की मांग की कि क्या सरकार ने इजरायल की साइबर सुरक्षा फर्म NSO ग्रुप के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है या नहीं. केंद्र का कहना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर किए जाने के बाद से पेगासस का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में इस मामले पर कोर्ट के अलावा कही और जानकारी नहीं दी जा सकती है.
राज्यसभा के नियमों का दुरुपयोग कर रही सरकार
केंद्र ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर मांग की थी कि माकपा सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पूछे गए "अनंतिम रूप से स्वीकृत प्रश्न" (PAQ) का जवाब 12 अगस्त को दिए जाने की इजाजत नहीं दी जाए. इधर, विश्वम ने बताया- “मुझे अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया है कि मेरे प्रश्न को अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन मुझे अभी तक फॉर्मल रेस्पोंस नहीं मिला है. सरकार राज्यसभा के नियमों का दुरुपयोग कर रही है और सच्चाई पर एक अलग रुख अपना रही है. उन्हें पेगासस के मुद्दे पर सवालों का सामना करना होगा”.
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पेगासस पर पूछे थे ये सवाल
पेगागस मामले पर माकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने पूछा कि अपने "अनंतिम रूप से स्वीकृत प्रश्न" (पीएक्यू) में विश्वम ने पूछा: "क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे- (क) सरकार ने विदेशी कंपनियों के साथ कितने एमओयू किए हैं, क्षेत्रवार ब्यौरा क्या है; (ख) क्या इनमें से कोई समझौता विदेशी कंपनियों के साथ साइबर सुरक्षा के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है, इसका ब्यौरा क्या है; और (ग) क्या सरकार ने पूरे देश में साइबर सुरक्षा के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एनएसओ समूह के साथ समझौता ज्ञापन किया है, यदि हां, तो इसका ब्यौरा प्रदान करें?
सुप्रीम कोर्ट कर रहा सुनवाई
पेगासस जासूसी मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. इस मामले में राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने पेगासस का इस्तेमाल करके सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की जासूसी की रिपोर्ट की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इससे भी पहले अधिवक्ता एम एल शर्मा ने याचिका दायर कर मांग की थी कि न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच कराई जाए.