दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से मांग, एडहॉक टीचर्स की पूरी सर्विस करें काउंट
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से मांग, एडहॉक टीचर्स की पूरी सर्विस करें काउंट
नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह से मांग की गई है कि स्थाई नियुक्ति के समय एडहॉक टीचर्स की पूरी पास्ट सर्विस काउंट की जाए। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने इसके लिए कुलपति को एक पत्र लिखा है।दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दशक बाद स्थायी सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति शुरू हुई है। ऐसे में यदि एडहॉक टीचर की पास्ट सर्विस अकाउंट नहीं की गई तो उन्हें समय पर प्रमोशन नहीं मिल सकेगा। विश्वविद्यालय में अभी तक 2,000 से अधिक टीचर्स परमानेंट हुए हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय में 5 हजार से अधिक अस्थाई शिक्षक हैं।
परमानेंट किए गए टीचर्स में 1,000 से अधिक ऐसे टीचर्स हैं, जिनके पास 5 वर्ष से लेकर 20 -22 साल का टीचिंग एक्सपीरियंस है। कुछ के पास इससे अधिक वर्षों का टीचिंग एक्सपीरियंस है। एडहॉक टीचर्स की पूरी पास्ट सर्विस काउंट न किए जाने को लेकर 50 से अधिक उम्र के शिक्षकों में सबसे ज्यादा रोष है। उनका कहना है कि हमारी एडहॉक सर्विस काउंट नहीं होगी तो हम एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद से वंचित रह जांएगे।
फोरम के चेयरमेन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति प्रोफेसर सिंह को बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण 20 वर्ष और उससे भी अधिक अनुभव रखने वाले एडहॉक शिक्षक है। उन्होंने बताया है कि हाल ही में एडहॉक टीचर्स से स्थायी हुए इन शिक्षकों में 1000 से अधिक वे टीचर्स है जो 10 या 15 साल सर्विस करेंगे।
विश्वविद्यालय प्रशासन यदि इन शिक्षकों की नियुक्ति समय से करता तो इनमें एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर होते। स्थायी नियुक्ति 2022-23 में होने से तथा उम्र ज्यादा होने के कारण इनमें बहुत से शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर भी नहीं बन पायेंगे। क्योंकि, एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट केवल 4 साल तक ही रिकॉर्ड की जा रही है।
डॉ. सुमन ने बताया है कि 2014 से पहले एडहॉक टीचर्स की पूरी पास्ट सर्विस काउंट होती थीं। लेकिन, अगस्त 2014 के बाद से एडहॉक टीचर्स के परमानेंट होने पर 4 साल की ही सर्विस काउंट होगी उससे ज्यादा नहीं। उन्होंने यह भी बताया है कि अन्य विश्वविद्यालयों में जाने वाले एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट हो रही है और वे एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर भी बन रहे है। उनका कहना है कि जब अन्य विश्वविद्यालय उनकी पास्ट सर्विस काउंट कर रहे है तो दिल्ली विश्वविद्यालय अपने एडहॉक से स्थायी हुए शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट क्यों नहीं कर रहा है।
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