प्रियंका ने देशवासियों को लिखा भावुक पत्र, कहा- हम होंगे कामयाब
हर दिन बीमारी से अपनों को लोग खो रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने देशवासियों को भावुक पत्र लिखा है.
highlights
- कोरोना काल में प्रियंका गांधी ने लिखा देशवासियों को पत्र
- हिम्मत बढ़ाते हुए लिखा यह अंधेरा चीर फिर छाएगी रोशनी
- हालांकि सरकार पुर वार करने से भी नहीं चूकीं प्रियंका
नई दिल्ली:
देशभर में बढ़ते कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के मामलों से हर तरफ मायूसी ही नजर आ रही है, हर दिन बीमारी से अपनों को लोग खो रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने देशवासियों को भावुक पत्र लिखकर कहा है, 'हम होंगे कामयाब.' इतना ही नहीं उन्होंने अपने पत्र में सरकार पर भी तंज कसा है. प्रियंका गांधी ने पत्र के शुरुआत में लिखा है, 'ये लाइनें लिखते वक्त मेरा दिल भरा हुआ है. मुझे पता है पिछले कुछ हफ्तों में आपमें से कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, कइयों के परिजन जिंदगी के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं और कई लोग अपने घरों पर इस बीमारी से लड़ते हुए सोच रहे हैं, आगे क्या होगा.'
सरकार पर कसा तंज
वह आगे लिखती हैं, 'हममें से कोई भी इस आफत से अछूता नहीं है. पूरे देश में सांसों के लिए जंग चल रही है, अस्पताल में भर्ती होने और दवाओं की एक खुराक पाने के लिए पूरे देश में लोगों के अंतहीन संघर्ष जारी हैं.' हालांकि प्रियंका गांधी ने अपने पत्र में सरकार को भी आड़े हाथ लिया है. उन्होंने लिखा है, 'इस सरकार ने देश की उम्मीदों को तोड़ दिया है. मैंने विपक्ष की एक नेता के रूप में इस सरकार से लगातार लड़ाइयां लड़ी हैं. मैं इस सरकार की विरोधी रही हूं मगर मैंने भी कभी ये नहीं सोचा था कि ऐसी मुश्किल घड़ी में कोई सरकार और उसका नेतृत्व इस कदर अपनी जिम्मेदारियों को पीठ दिखा सकता है. हम अब भी अपने दिलों में ये भरोसा पाले हुए हैं कि वे जागेंगे और लोगों का जीवन बचाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे. बावजूद इसके कि देश का शासन चलाने के पवित्र कार्यभार की जिम्मेदारी रखने वाले लोगों ने हमें नाउम्मीद किया है, हमें उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना है.'
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इंसानियत का दामन थामें
प्रियंका ने अपने पत्र में आगे लिखा है, 'इस तरह की मुश्किल घड़ियों में इंसानियत का झंडा हमेशा बुलंद हुआ है. हिंदुस्तान ने पहले भी ऐसे दर्द और पीड़ा का सामना किया है. हमने बड़े-बड़े तूफान, अकाल, सूखा, भयंकर भूकंप और भयानक बाढ़ देखी है मगर हमारा माद्दा टूटा नहीं है. डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी अधिकतम दबाव के बीच रात-दिन लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं. वहीं औद्योगिक वर्ग के लोग अपने संसाधनों को ऑक्सीजन व अस्पतालों की अन्य जरूरतों को पूरा करने में लगा रहे हैं. हर जिले, शहरों, कस्बों एवं गांवों में ऐसे तमाम संगठन व व्यक्ति हैं, जो लोगों की पीड़ा कम करने के लिए तन-मन-धन से जुटे हुए हैं. अच्छाई की एक मूल भावना हम सब में है. असीम पीड़ा के इस दौर में अच्छाई की यह जुंबिश हमारे राष्ट्र की आत्मा और रुतबे को और मजबूत बनाएगी.'
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फिर छाएगा उजियारा चहुंओर
'ये हम सबकी जिंदगी का एक अहम मोड़ है जहां हम अपनी सीमाओं के परे जाकर एक बार फिर अपनी असीमित जिजीविशा से साक्षात्कार कर पा रहे हैं. बेबसी और भय को परे कर हम पर साहसी बने रहने की चुनौती है. जाति, धर्म, वर्ग या किसी भी तरह के भेद को खारिज करते हुए इस लड़ाई में हम सब एक हैं. ये वायरस भेदों को नहीं पहचानता. आइए, हम एक दूसरे को और इस दुनिया को दिखा दें. करुणामयी व्यवहार और कितनी भी कठिन परिस्थितियों में कभी हार न मानना ही हमारी भारतीयता है. जिंदगी के इस मोड़ पर हम एक दूसरे की ताकत बनेंगे. चौतरफा फैली इस मायूसी के बीच अपनी ताकत को बटोरते हुए, दूसरों को राहत देने के लिए जो कुछ भी बन पड़े वो करते हुए, थककर चूर होने के बाद भी थकान को न कहते हुए और तमाम मुश्किलों के खिलाफ जिन्दादिली से टिके रहकर, हम जरुर कामयाब होंगे. ये जो अंधेरा हमारे चारों ओर फैला हुआ है, उसको चीरते हुए उजाला एक बार फिर उभरेगा.'
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