जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय बुधवार यानी 18 नवंबर को अपना चौथा वार्षिक दीक्षांत समारोह आयोजित किया. जिसमें 600 से अधिक छात्रों को पीएचडी उपाधी से सम्मानित किया गया. कोरोना महामारी को देखते हुए दीक्षांत समारोह को वर्चुअल तरीके से आयोजित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और संबोधित किया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैं जेएनयू से जुड़े हर व्यक्ति की सराहना करता हूं कि वह सामाजिक विज्ञान से लेकर प्रौद्योगिकी तक अलग-अलग शैक्षणिक डोमेन में उच्च पद पर मौजूद है. यह शिक्षण और अनुसंधान दोनों ने शिक्षाविदों की दुनिया में प्रभाव डाला है.
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि गुरु शिष्य परंपरा वाले भारत की संस्कृति की अपनी अद्भुत परंपरा रही है. इस संस्कृति में पहले शिक्षा फिर दीक्षा और उसके बाद दीक्षांत और अंत में गुरु दक्षिणा का नंबर आता है. मैं आप सभी स्टूडेंट्स से अनुरोध करना चाहूंगा कि यदि आपके मन गुरुओं को गुरु दक्षिणा देने का भाव प्रकट होता है तो जरूर आप विद्यादान और ज्ञानदान दीजिए. साथ ही अपनी क्षमताओं से राष्ट्र को मजबूत कीजिए.
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दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि आप जहां भी जाएं अपनी जड़ों से जुड़े रहें. आपके कार्यक्षेत्र में भारतीय जीवन मूल्यों की स्पष्ट छाप दिखनी चाहिए. आप खुद को लगातार अपडेट, अपग्रेड और एजुकेट करते हुए आगे बढ़ें, वरना आउटडेट होने का खतरा हमेशा बना रहता है.
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उन्होंने आगे कहा कि समग्र शिक्षा के संदर्भ में मुझे बताया गया है कि JNU युवाओं के कौशल विकास और रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से अध्ययन के नए क्षेत्रों में केंद्र स्थापित करने के लिए कदम उठा रहा है. यह हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हुए ज्ञान आधारित उद्यम बनाने में सक्षम होगा.
Source : News Nation Bureau