प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, अवमानना मामले में दोषी करार
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े और सुप्रीम कोर्ट को लेकर किये गए दो अलग अलग ट्वीट्स पर स्वत:संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी.
नई दिल्ली:
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अवमामना के एक मामले में प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े और सुप्रीम कोर्ट को लेकर किये गए दो अलग अलग ट्वीट्स पर स्वत:संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. उनकी सजा पर कोर्ट 20 अगस्त को बहस की जाएगी.
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि 30 साल से वकालत की प्रैक्टिस कर रहे तमाम जनहित से जुड़े मसलों को कोर्ट में लाने वाले शख्स से ऐसे ट्वीट्स की उम्मीद नहीं की जा सकती. उनके ट्वीट को जनहित में न्यायपालिका की स्वस्थ आलोचना नहीं माना जा सकता. ये ट्वीट न्यायपालिका की गरिमा को गिराने वाले हैं. लोगों के न्यायापालिका में विश्वास को कम करने वाले हैं. कोर्ट ने कहा कि निसंदेह जजों को अपनी आलोचना को उदारता से लेना चाहिए लेकिन इस हद तक नहीं कि ऐसे बदनीयती, सोचसमझ कर न्यायपालिका पर किये प्रहार से सख्ती से ना निपटा जाए.
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6 महीने तक की हो सकती है सजा
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया था. इसके जवाब में प्रशांत भूषण का कहना था कि सीजेआई की आलोचना सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम नहीं करता है. बाइक पर सवार सीजेआई के बारे में ट्वीट कोर्ट में सामान्य सुनवाई न होने को लेकर उनकी पीड़ा को दर्शाता है. इसके अलावा पिछले 4 सीजेआई को लेकर ट्वीट के पीछे मेरी सोच है जो भले ही अप्रिय लगे लेकिन अवमानना नहीं है. इस जवाब को सुप्रीम कोर्ट ने उचित ना मानते हुए प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है. अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को 6 महीने तक की सजा हो सकती है.
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वापस ली थी अर्जी
इससे पहले गुरुवार को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की धारा 2(c)(i) को चुनौती देने वाली साझा अर्जी वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan), पत्रकार एन राम और अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से वापस ली. अर्जी में कहा गया था कि कोर्ट के सम्मान को गिराने वाला बयान देने के लिए लगने वाली यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है. गौरतलब है कि प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनका स्पष्टीकरण नामंजूर कर दिया है. अब उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई आगे चलेगी.
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