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भारत रत्न: जानें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारें में ये Unknown Facts

प्रणब मुखर्जी को साल 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है.

Updated on: 25 Jan 2019, 10:15 PM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को भारतीय जनसंघ के विचारक नानाजी देशमुख, प्रसिद्ध असमिया कवि भूपेन हजारिका और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के लिए भारत रत्न की घोषणा की. नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत मिलेगा. प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति रह चुके हैं. वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी रहे हैं. उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली थी. 

आईए जानते हैं प्रणब मुखर्जी से जुडी कुछ बेहद रोचक बातें

1. प्रणब मुखर्जी को 2007 में ही राष्ट्रपति भवन भेजने की तैयारी चल रही थी लेकिन कांग्रेस पार्टी ने जरूरतों को देखते हुए अपने कदम वापस खींच लिए थे.

2. प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के मिराटी में हुआ था. राजनीति विज्ञान, इतिहास और कानून की पढ़ाई के बाद प्रणब मुखर्जी ने शिक्षक, पत्रकार और वकील के तौर पर भी काम किया. उनकी शादी 13 जुलाई 1957 को सुब्रा मुखर्जी से हुई.

3. प्रणब मुखर्जी को राजनीति में ले आना का श्रेय इंदिरा गांधी को जाता है. प्रणब मुखर्जी ने 1969 में राज्य सभा सांसद के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और फिर 1975, 1981, 1993 और 1999 में भी राज्य सभा के लिए चुने गए. उन्होंने पहली बार 1980 में लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए. 24 साल बाद वह जंगीपुर लोकसभा क्षेत्र से चुने गए। इसके बाद 2009 में भी उन्होंने इस क्षेत्र से चुनाव जीता.

4. भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने 1982-83 में अपना पहला बजट पेश किया.

5. कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले प्रणब मुखर्जी ने 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. इंदिरा के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने थे और उन्होंने अपनी कैबिनेट में प्रणब को जगह नहीं दी. बहरहाल, पार्टी छोड़ने के बाद प्रणब ने अपनी खुद की 'राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस' नाम से पार्टी बनाई. हालांकि तीन साल बाद 1991 में पीवी नरसिंहा राव की सरकार बनने के बाद वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए.

6. केंद्र में रहते हुए प्रणब ने वित्त मंत्री से लेकर विदेश विभाग और रक्षा मंत्री तक का पदभार संभाला. 1991 से लेकर 15 मई 1996 तक प्रणब मुखर्जी ने योजना आयोग (अब नीति आयोग) के डिप्टी चेयरपर्सन भी रहे.

7. प्रणब मुखर्जी एकमात्र ऐसे वित्तमंत्री हैं जिन्होंने ग्लोब्लाइजेशन के पहले और उसके बाद भी इस पद को संभाला है.

8. प्रणब मुखर्जी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अभी तक अपनी जिंदगी में केवल दो फिल्में ही देखी हैं. साल 2011 में एक कार्यक्रम में सदाबहार अभिनेता देवानंद को सम्मानित किया था और फिर बाद में ममता बनर्जी से पूछा, 'एई, देवानंद की कौन-कौन सी फिल्में हैं?'

यहां तक कि विनोद खन्ना एक बार उनसे संसद भवन में मिले और अपना परिचय देते हुए कहा, 'सर मैं विनोद खन्ना हूं' तब प्रणब मुखर्जी की प्रतिक्रिया बहुत सामान्य रही. इसके बाद विनोद खन्ना से दोबारा अपना परिचय कराया और कहा, 'सर मैं विनोद खन्ना हूं, एक सांसद.'

इस पर प्रणब की मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया थी...'ओह..आईए मेरे साथ, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं.'

9. प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में 30 क्षमादान याचिकाएं खारिज की. इसमें 2008 में हुए मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब और 2001 में संसद भवन पर हुए अटैक के दोषी अफजल गुरु का भी नाम शामिल है.

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बता दें कि प्रणब मुखर्जी को साल 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है. साल 2012-2017 के दौरान राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय का दौरा कर काफी चर्चा में रहे थे.

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 'द ड्रामेटिक डिकेड', 'द टब्र्यूलेंट ईयर्स' और 'द कोलीजन ईयर्स' नाम की किताब भी लिख चुके है. जिसमें मुखर्जी की आत्मकथा श्रंखला की किताब 'द कोलीजन ईयर्स' ने राजनीतिक नजरिया प्रदान करने के साथ-साथ कुछ दुर्लभ रहस्यों से भी रूबरू कराया था.