जहरीली हवा: प्रदूषण नियंत्रण पर इतने करोड़ खर्च फिर भी गैंस चैंबर में तब्दील हैं कई शहर
जहां देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर दर्ज किए गए हैं, वहीं सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र ने इस खतरे से निपटने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि यह सब बेकार हो चुका है.
highlights
- देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण की स्थिति खतरनाक
- केंद्र ने इस खतरे से निपटने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए
- करोड़ खर्च के बाजवूद प्रदूषण पर नहीं हो रहा है नियंत्रण
नई दिल्ली:
जहां देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर दर्ज किए गए हैं, वहीं सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र ने इस खतरे से निपटने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि यह सब बेकार हो चुका है. केंद्र ने 2020-21 और 2021-22 के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत लगभग 515 करोड़ रुपये मंजूर किए थे. इसके अलावा, 42 शहरों और शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार 2020-21 के दौरान 4,400 करोड़ रुपये जारी किए गए. एनसीएपी के तहत 290 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी और 2020-21 में निगरानी नेटवर्क, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं, गैर-मोटर चालित परिवहन बुनियादी ढांचे, ग्रीन बफर, मैकेनिकल स्ट्रीट स्वीपर, कंपोस्टिंग इकाइयों आदि के विस्तार के लिए 152.73 करोड़ रुपये जारी किए गए थे. 2021-22 के लिए 225 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था.
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वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए NCAP की योजना
केंद्र ने जनवरी 2019 में देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए अखिल भारतीय कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में एनसीएपी की शुरुआत की थी. NCAP एक मध्यावधि, पंचवर्षीय कार्य योजना है. एनसीएपी के तहत 2024 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 में 20-30% की कमी के अस्थायी राष्ट्रीय स्तर के लक्ष्य की परिकल्पना की गई है. एनसीएपी के तहत, 2014-18 से वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर देश भर में 124 शहरों की पहचान की गई है जहां प्रदूषण नियंत्रण पर काम करने की जरूरत है. एनसीएपी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर संचालन, निगरानी और कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है.
नहीं मिल रहे बेहतर परिणाम
इसके अलावा, एनसीएपी के जमीनी क्रियान्वयन की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर स्तर के नोडल अधिकारियों को नामित किया गया है. इनके अलावा, कई केंद्रीय योजनाएं हैं जो शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने पर भी ध्यान केंद्रित करती हैं. वर्ष 2014-2019 के दौरान शहरी स्वच्छ भारत मिशन के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए लगभग 7,365.82 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसके अलावा, शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के लिए 2021-2026 तक पांच वर्षों की अवधि में 1,41,678 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें निर्माण और विध्वंस गतिविधियों और बायोरेमेडिएशन से प्रभावी रूप से कचरे का प्रबंधन करके वायु प्रदूषण में कमी पर ध्यान दिया गया है.
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