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पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में निकासी की सीमा बढ़ी, अब खाताधारक निकाल सकते हैं इतने रुपए

पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (एचडीआईएल) के खाताधारकों के लिए राहत की खबर सामने आई है. पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के धन निकासी की सीमा बढ़ी है. अब जमाकर्ता 1 लाख रुपए तक जमा राशि निकाल सकते हैं.

Updated on: 19 Jun 2020, 06:43 PM

नई दिल्ली:

पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (PMC) के खाताधारकों के लिए राहत की खबर सामने आई है. पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के धन निकासी की सीमा बढ़ी है. अब जमाकर्ता 1 लाख रुपए तक जमा राशि निकाल सकते हैं. पहले यह सीमा 50 हज़ार रुपये तय किया गया था.

इस राहत से करीब 84 फीसदी जमाकर्ता अपना पूरा जमा राशि निकलने की स्थिति में होंगे. पहले इस सीमा को 5 नवंबर 2019 से 21 मार्च 2020 और बाद में 22 जून 2020 तक बढ़ाया गया था. आरबीआई ने अब इस निर्देश की समय सीमा को 23 जून 2020 बढ़ाकर 22 दिसंबर 2020 तक कर दिया है. सभी नियम व शर्ते पहले के निर्देश के मुताबिक ही जारी रहेगा.

वहीं, 10 जून को बम्बई उच्च न्यायालय ने करोड़ों रुपये के पीएमसी बैंक धोखाधड़ी मामले में धनशोधन के आरोपों में गिरफ्तार एचडीआईएल (HD के प्रवर्तकों राकेश वधावन और सारंग वधावन की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में महाराष्ट्र सरकार से जानकारी मांगी है. अदालत ने यह भी पूछा है कि वे मुंबई स्थित आर्थर रोड जेल की किस बैरक में बंद हैं.

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न्यायमूर्ति भारती डांगरे हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रवर्तकों राकेश वधावन और उनके पुत्र सारंग वधावन द्वारा दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई कर रही थीं. याचिकाओं में उन्होंने चिकित्सकीय आधार पर उन्हें जमानत दिये जाने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि कोविड-19 के मद्देनजर जेल में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं.

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वधावन की चिकित्सा स्थिति और बैरक के बारे में जानकारी के अलावा न्यायमूर्ति डांगरे ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि कैदियों के बीच कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं. अदालत ने जमानत याचिकाओं पर अगली सुनवाई की तिथि 12 जून तय की. पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में घोटाला सितम्बर 2019 में उस समय प्रकाश में आया था जब भारतीय रिजर्व बैंक ने पाया कि पीएमसी बैंक ने लगभग दिवालिया हो चुकी एचडीआईएल को दिये 4,355 करोड़ रुपये के ऋणों को छिपाने के लिए कथित तौर पर फर्जी खाते बनाये गये.