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प्रधानमंत्री मोदी आज फिर असम को देंगे बड़ी सौगात, करेंगे कई परियोजनाओं की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर असम को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. वह आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए असम में 'महाबाहु-ब्रह्मपुत्र' का शुभारंभ करेंगे.

Updated on: 18 Feb 2021, 07:26 AM

highlights

  • PM मोदी आज असम को देंगे बड़ी सौगात
  • कई परियोजनाओं की करेंगे शुरुआत
  • असम में इस साल होने हैं विधानसभा चुनाव

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर असम को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. वह आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए असम में 'महाबाहु-ब्रह्मपुत्र' का शुभारंभ करेंगे. इसके अलावा वह धुबरी फूलबाड़ी पुल की आधारशिला रखेंगे और मजुली पुल के निर्माण का लिए दोपहर 12 बजे भूमिपूजन करेंगे. प्रधानमंत्री ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए दो ई-पोर्टल का भी शुभारंभ करेंगे. कार-डी (कार्गो डेटा) पोर्टल वास्तविक समय के आधार पर कार्गो और क्रूज डेटा को मिलाएगा. पानी (पोर्टल फॉर एसेट एंड नेविगेशन इन्‍फॉरमेशन) नदी जल पर्यटन और बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एक ही जगह पर समाधान प्रदान करने के रूप में कार्य करेगा. इस अवसर पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी और असम के मुख्यमंत्री भी उपस्थित रहेंगे.

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महाबाहु-ब्रह्मपुत्र का करेंगे शुभारंभ

महाबाहु-ब्रह्मपुत्र के शुभारंभ के साथ नीमाटी-मजुली द्वीप, उत्तरी गुवाहाटी-दक्षिण गुवाहाटी और धुबरी-हाटसिंगिमारी के बीच रो-पैक्स पोत संचालन का उद्घाटन किया जाएगा. जोगीघोपा में अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्‍ल्‍यूटी) टर्मिनल के शिलान्यास और ब्रह्मपुत्र नदी पर विभिन्न पर्यटक जैटियों और ईज ऑफ डूइंग-बिजनेस के लिए डिजिटल समाधान का शुभारंभ होगा. कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के पूर्वी हिस्सों में निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना है और इसमें ब्रह्मपुत्र और बराक नदी के आसपास रहने वाले लोगों के लिए विभिन्न विकास गतिविधियां शामिल हैं.

रो-पैक्स सेवाओं से तटों के बीच संपर्क प्रदान करके यात्रा के समय को कम करने में मदद करेगी और इस प्रकार सड़क मार्ग से यात्रा की दूरी कम हो सकेगी. नेमाटी और मजुली के बीच रो-पैक्स परिचालन से वर्तमान में वाहनों द्वारा तय की जा रही 420 किलोमीटर की कुल दूरी कम होकर केवल 12 किलोमीटर रह जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र के लघु उद्योगों की रसद पर काफी प्रभाव पड़ेगा. दो स्वदेशी रो-पैक्स जहाज, एम.वी. रानी गाइदिन्ल्यू और एम.वी. सचिन देव बर्मन, शुरु होंगे. रो-पैक्स जहाज एम.वी. जे.एफ.आर. जैकब के शुरू होने से उत्तर और दक्षिण गुवाहाटी के बीच लगभग 40 किलोमीटर की दूरी केवल 3 किलोमीटर रह जाएगी. धुबरी और हतसिंगीमारी के बीच एम. वी. बॉब खातिंग 220 किलोमीटर की यात्रा दूरी को कम करके 28 किलोमीटर कर देगा.  इस प्रकार यात्रा दूरी तय करने में समय की भारी बचत होगी.

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कार्यक्रम में चार स्थानों नेमाटी, बिश्वनाथ घाट, पांडु और जोगीघोपा पर पर्यटन मंत्रालय की 9.41 करोड़ रुपये की सहायता से पर्यटक जेटी के निर्माण के लिए शिलान्यास भी शामिल है. ये जेटी रिवर क्रूज़ टूरिज्म को बढ़ावा देंगी, स्थानीय रोजगार पैदा करेंगी और स्थानीय व्यापार में वृद्धि करेंगी. कार्यक्रम के तहत जोगीघोपा में एक स्थायी अंतर्देशीय जल परिवहन टर्मिनल भी बनाया जाएगा, जो जोगीघोपा में आने वाले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क से भी जुड़ेगा. यह टर्मिनल कोलकाता और हल्दिया की ओर सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर यातायात को कम करने में मदद करेगा. यह विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मेघालय और त्रिपुरा और भूटान और बांग्लादेश के लिए बाढ़ के मौसम के दौरान भी कार्गो के निर्बाध आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा.

धुबरी फूलबाड़ी पुल

प्रधानमंत्री धुबरी (उत्तरी तट) और फूलबाड़ी (दक्षिण तट) के बीच ब्रह्मपुत्र पर चार लेन के पुल की आधारशिला रखेंगे. प्रस्तावित पुल एनएच-127बी पर स्थित होगा, जो एनएच-27 (ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर) पर श्रीरामपुर से निकलता है, और मेघालय राज्य में एनएच-106 पर नोंगस्टोइन पर समाप्त होता है. यह असम में धुबरी को मेघालय के फूलबाड़ी, तूरा, रोंग्राम और रोंगजेंग से जोड़ेगा. लगभग 4997 करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल असम और मेघालय के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा, जो नदी के दोनों किनारों के बीच यात्रा करने के लिए नौका सेवाओं पर निर्भर थे. यह सड़क से तय की जाने वाली 205 किलोमीटर की दूरी को कम करके 19 किलोमीटर कर देगा, जो पुल की कुल लंबाई है.

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मजुली पुल के लिए करेंगे भूमिपूजन

प्रधानमंत्री मजुली (उत्तरी तट) और जोरहाट (दक्षिणी तट) के बीच ब्रह्मपुत्र पर दो लेन पुल के लिए भूमिपूजन करेंगे. पुल 'एनएच-715के' पर स्थित होगा और नीमतिघाट (जोरहाट की तरफ) और कमलाबारी (मजुली की तरफ) को जोड़ेगा. पुल का निर्माण मजुली के लोगों की एक लंबी मांग रही है, जो पीढ़ियों से असम की मुख्य भूमि से जुड़ने के लिए नौका सेवाओं पर निर्भर हैं.