बीते नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के साथ केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री औऱ कई मंत्रियों ने कई स्तर की बातचीत की, लेकिन किसान संगठन कानून वापसी से कम पर सहमत नहीं हैं. यह अलग बात है कि इस मसले पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने चुप्पी तोड़ते हुए कृषि कानूनों के विरोध को राजनीतिक धोखाधड़ी करार दिया है. एक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में पीएम मोदी ने अपरोक्ष रूप से कांग्रेस (Conress) समेत कृषि कानून का विरोध कर रहे नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि आप किसान हित में किए गए सुधारों का विरोध करने वालों को देखेंगे, तो आप बौद्धिक बेइमानी और राजनीतिक धोखाधड़ी का असल अर्थ समझ सकेंगे.
चुनावी वादे कर यू-टर्न ले लेते हैं कई राजनीतिक दल
अंग्रेजी पत्रिका 'ओपन' को दिए साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा, 'कई राजनीतिक दल हैं जो चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करते हैं. उन्हें अपने चुनावी घोषणापत्र में भी डालते हैं. यह अलग बात है कि जब वादा पूरा करने का वक्त आता है तो यू-टर्न ले लेते हैं. यही नहीं, अपने ही किए वादों को लेकर हर तरह की मनगढ़ंत और झूठी बातें फैलाते हैं. ऐसे में अगर आप किसान हित में किए गए सुधारों का विरोध करने वालों को देखेंगे, तो आपको बौद्धिक बेइमानी और राजनीतिक धोखाधड़ी का असली मतलब दिखेगा.'
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बौद्धिक बेइमानी का भौंडा प्रदर्शन है विरोध
पीएम नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा, 'ये वही लोग हैं जिन्होंने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर वही करने को कहा जो हमारी सरकार ने किया है. ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने घोषणापत्र में लिखा कि वे वही सुधार लागू करेंगे जो हम लेकर आए हैं. इसके बावजूद हम एक अलग राजनीतिक दल हैं, जिसे लोगों ने अपना प्यार दिया है. साथ ही हम वही सुधार लागू कर रहे हैं, तो उन्होंने पूरी तरह यू-टर्न ले लिया है और बौद्धिक बेइमानी का भौंडा प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध में यह पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया कि किसान हित में क्या है, सिर्फ निहित स्वार्थवश यही सोचा जा रहा है कि इस तरह उन्हें राजनीतिक रूप से किस तरह फायदा पहुंचेगा.' पीएम मोदी के मुताबिक यही राजनीतिक धोखाधड़ी आधार, जीएसटी, कृषि कानूनों और यहां तक कि सैन्य बलों के हथियारों जैसे गंभीर मामलों पर देखी जा सकती है. वादा करो, उसके लिए तर्क दो और फिर बिना किसी नैतिक मूल्य के उसी चीज का विरोध करो.
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सभी को सता रहा मोदी की सफलता का डर
प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार में आगे कहा, 'जो लोग ऐसे विवाद पैदा करते हैं, उन्हें लगता है कि मुद्दा ये नहीं कि इन फैसलों से जनता को फायदा होगा कि नहीं. उनके लिए मुद्दा ये है कि अगर इस तरह के फैसले लिए गए तो मोदी की सफलता को कोई रोक नहीं पाएगा.' मोदी ने कहा, 'आपको नहीं लगता कि राजनीतिक दल अपना माखौल बना रहे थे जब उनके सदस्यों ने नई संसद की जरूरत पर बात की, पिछले स्पीकर्स ने कहा कि नई संसद की जरूरत है? लेकिन अगर कोई ऐसा करने चले तो वे लोग कुछ बहाने बनाकर विरोध करेंगे, यह कितना सही है?' इसके साथ ही पीएम मोदी ने छोटे किसानों को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता फिर जाहिर की हैं. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के जिन बिंदुओं पर असहमति है, सरकार बैठकर उसपर बात करने को तैयार है. इस संबंध में कई बैठकें भी हुई हैं, लेकिन अभी तक कोई एक शख्स भी यह बता नहीं सका है कि किस बिंदु में बदलाव की जरूरत है.
HIGHLIGHTS
- कई दल वादा पूरा करने का वक्त आता है तो यू-टर्न ले लेते हैं
- कृषि कानूनों का विरोध बौद्धिक बेइमानी और राजनीतिक धोखाधड़ी
- छोटे किसानों को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता फिर जाहिर की