MSP पर पीएम नरेंद्र मोदी के खाली बयानों से किसानों को नहीं होगा लाभ, क्योंकि...
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को 76वें दिन में प्रवेश कर गया है.पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में किसानों से अपने आंदोलन को खत्म करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों के लिए बातचीत का रास्ता खुला है.
highlights
- किसानों का आंदोलन 76वें दिन में किया प्रवेश
- संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी पर साधा निशाना
- SKM ने सभी तरह के FDI का किया विरोध
नई दिल्ली:
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को 76वें दिन में प्रवेश कर गया है.पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में किसानों से अपने आंदोलन को खत्म करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों के लिए बातचीत का रास्ता खुला है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के किए गए अपमान की निंदा करता है. किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आन्दोलनजीवी ही थे जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है. यह भाजपा और उसके पूर्वज ही हैं जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया. वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा कि अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे. यह सरकार का अड़ियल रवैया है जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है. एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे. किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को ख़रीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हम सभी तरह के FDI का विरोध करते हैं. पीएम का एफडीआई दृष्टिकोण भी खतरनाक है, यहां तक कि हम खुद को किसी भी FDI "विदेशी विनाशकारी विचारधारा" से दूर करते हैं. हालांकि, SKM रचनात्मक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ खड़ा है जो दुनिया में कहीं भी बुनियादी मानवाधिकारों को बनाए रखते हैं और पूरी दुनिया में सभी न्यायसंगत विचारधारा वाले नागरिकों से समान पारस्परिकता की अपेक्षा करते हैं क्योंकि "कहीं भी हो रहा अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है".
SKM किसानों की मांगों को गंभीरता से और ईमानदारी से हल करने में सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है. हम इस तथ्य पर सवाल उठाते हैं कि सरकार किसान संगठनों को ड्राफ्ट बिल वापस लेने का आश्वासन देने के बावजूद विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश कर रही है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में किसान महापंचायतों द्वारा दिए गए विशाल समर्थन से दिल्ली के धरनों पर बैठे किसानों में उत्साह बढ़ा है. आने वाले दिनों में इन महापंचायतों से किसान दिल्ली धरनों में शामिल होंगे. ट्विटर अकाउंट्स के बाद, चल रहे किसान आंदोलन से संबंधित कई वीडियो को YouTube से हटा दिया गया है. हम लोगों की आवाज को दबाने के इन प्रयासों का कड़ा विरोध करते हैं.
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