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पीएम मोदी की कोरोना डिप्लोमेसी से डरा चीन, अब दुष्प्रचार का षड्यंत्र

पीएम नरेंद्र मोदी की वैक्सीन डिप्लोमेसी ने चीन को डरा दिया है. दक्षिण एशिया में भारत के बढ़ते प्रभाव के बीच ड्रैगन अब दुष्प्रचार और बदनाम करने की नई साजिश पर उतर आया है.

Updated on: 25 Jan 2021, 11:20 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कोरोना डिप्लोमेसी से डरा चीन (China) अब दुष्प्रचार पर उतर आया है. इसके लिए चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने हर बार की तरह ही मोर्चा संभाला है. अखबार ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना को आधार बनाते हुए भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं. यही नहीं, शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे कांग्रेसी नेताओं की तर्ज पर कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन को ट्रायल पूरा नहीं करने के आरोप के आधार पर कठघरे में खड़ा किया है. गौरतलब है कि पीएम मोदी ने दक्षिण एशिया के देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति कर अब अफ्रीकी देशों की ओर रुख किया है. 

भारत की कोरोना डिप्लोमेसी से ड्रैगन बैकफुट पर
कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति पर अड़ंगेबाजी और कीमत वसूलने की चाल ने चीन को उसके ही पड़ोसी देशों में बेनकाब कर दिया है. ऐन मौके जहां बांग्लादेश ने चीनी वैक्सीन को ना कह दिया था, वहीं नेपाल ने भी भारतीय वैक्सीन को तरजीह दी. ऐसे में ड्रैगन भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी को पचा नहीं पा रहा है. उलटे कोरोना महामारी के बीच भारत के वैक्सीन मैत्री अभियान ने चीन को दक्षिण एशिया में बैकफुट पर ढकेल दिया है. ऐसे में चीनी सरकार का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स भारत के अभियान के खिलाफ दुष्प्रचार और उसे बदनाम करने में जुट गया है. वहीं भारत ने पहले से ही श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर सभी सार्क देशों को भारत के सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशिल्ड वैक्सीन का तोहफा दिया है.

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अफगानिस्तान को जल्द मिलेगी कोरोना वैक्सीन 
भारत और अफगानिस्तान के बीच वैक्सीन को लेकर बातचीत जारी है. भारत का कहना है कि अफगानिस्तान में स्थानीय रेगुलेटर की तरफ से वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाने के बाद उसे वैक्सीन की खेप की सप्लाई की जाएगी. भारत ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया है कि वह उसकी प्राथमिकता सूची में ऊपर है. भारत की तरफ से 27 जनवरी को श्रीलंका को कोरोना वैक्सीन 5 लाख डोज दी जाएगी.

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कांग्रेस और चीन की आपत्तियां एक जैसी
वहीं, ग्लोबल टाइम्स ने भारत की वैक्सीन मैत्री के खिलाफ दुष्प्रचार करते हुए सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर सवाल उठाए हैं. ग्लोबल टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि चीन में रहने वाले भारतीय चीनी वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं. ग्लोबल टाइम्स ने बीबीसी की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि पेशेंट्स राइट्स ग्रुप ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क का कहना है कि सीरम ने कोविशील्ड को लेकर स्टडी को पूरा नहीं किया है. यही आरोप लगाते हुए शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे कांग्रेसी नेताओं ने कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण अभियान पर सवाल उठाए थे. 

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नेपाल ने नहीं दी चीनी वैक्सीन को मंजूरी
भारत के प्रयासों के उलट चीन ने बहुत कम और उन देशों को वैक्सीन देने का ऑफर दिया है जहां वह राजनीतिक और आर्थिक रूप से अपने पैर पसारना और प्रभाव जमाना चाहता है. नेपाल मे ड्रग रेगुलेटर ने अभी तक चीनी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है. वहीं, मालदीव सरकार के सूत्रों का कहना है कि चीन की तरफ से कोविड-19 वैक्सीन की किसी भी तरह की सप्लाई को लेकर कोई संकेत नहीं मिले हैं. इतना ही नहीं चीन के करीबी देश कंबोडिया ने भी भारत से वैक्सीन देने का आग्रह किया है. वहीं रायटर की एक रिपोर्ट में पिछले हफ्ते कहा गया था कि टीके की सप्लाई को लेकर बांग्लादेश के साथ चीन का गतिरोध है.