भारत-पाक पीएम समरकंद में कर सकते हैं बैठक, सबब बनेगा SCO शिखर सम्मेलन
सितंबर में होने वाली दो दिवसीय एससीओ की बैठक में भारत, पाकिस्तान के अलावा चीन, रूस और ईरान के राष्ट्रपति भी हिस्सा ले रहे हैं. ये सभी क्षेत्रीय चुनौतियों पर चर्चा करेंगे.
highlights
- 15-16 सितंबर को उज्बेकिस्तान में एससीओ की हो रही बैठक
- इसी बैठक में भारत-पाक पीएम की मुलाकात के लग रहे कयास
- चीन, रूस और ईरान भी लेंगे समरकंद एससीओ बैठक में हिस्सा
नई दिल्ली:
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ क्या उज्बेकिस्तान के समरकंद में पिघल सकती है. 15-16 सितंबर को समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ के बीच मुलाकात के कयास लगाए जा रहे है. गौरतलब है कि पठानकोट में एयरबेस पर 2016 में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में खिंचाव आना शुरू हुआ था, जो उरी समेत 2019 में पठानकोट में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद चरम पर पहुंच गया. रही सही कसर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने ने पूरी कर दी. हालांकि शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिये उन्हें बधाई दी थी, जिसके जवाब में शाहबाज शरीफ ने भी उनका शुक्रिया जताया था.
क्षेत्रीय चुनौतियों पर होगी चर्चा
सितंबर में होने वाली दो दिवसीय एससीओ की बैठक में भारत, पाकिस्तान के अलावा चीन, रूस और ईरान के राष्ट्रपति भी हिस्सा ले रहे हैं. ये सभी क्षेत्रीय चुनौतियों पर चर्चा करेंगे. सूत्रों के अनुसार शहबाज शरीफ सम्मेलन में शामिल होंगे, जिसके दौरान उनके चीन, रूस, ईरान के राष्ट्रपतियों के साथ-साथ पीएम मोदी से भी मिलने की संभावना है. गौरतलब है कि 28 जुलाई की बैठक में एससीओ विदेश मंत्रियों ने दोहराया कि एससीओ राष्ट्रों के प्रमुख इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. हालांकि ताशकंद में बैठक में शामिल हुए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तानी और भारतीय नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक निर्धारित नहीं है. उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ का हिस्सा हैं. दोनों देश केवल संगठन की व्यापक-आधारित गतिविधियों में एक साथ जुड़ते हैं.
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फिलहाल बातचीत के मसले तय नहीं
हालांकि कश्मीर पर तोता रंटत और पाक अधिकृत कश्मीर में सक्रिय आतंकी कैंपों को लेकर भारत संयुक्त राष्ट्र समेत हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को घेरता आया है. ऐसे में अगर समरकंद में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियोंकी मुलाकात होती है, तो बातचीत के मसले अभी तक स्पष्ट नहीं हैं. फिर भी यदि दोनों देशों के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती है, तो क्षेत्रीय शांति के साथ-साथ आतंकवाद पर पाकिस्तान के रवैये पर बातचीत संभव है. गौरतलब है कि पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमलों के बाद 2019 से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी टूटा हुआ है. 2019 के बाद से इसे लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है.
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