logo-image

DNA पर आधारित दुनिया की पहली स्वदेशी वैक्सीन को मिली मंजूरी, जानें क्या बोले PM

कोरोना के साथ जंग में भारत को जायडस कैडिला के रूप में एक और बड़ा हथियार मिल गया है.

Updated on: 20 Aug 2021, 10:34 PM

नई दिल्ली:

कोरोना के साथ जंग में भारत को जायडस कैडिला के रूप में एक और बड़ा हथियार मिल गया है. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है. पीएम मोदी ( PM Narendra Modi )  ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा कि जाइडस कैडिला के दुनिया के पहली DNA-आधारित ‘ZyCov-D’ वैक्सीन ( DNA-based Corona Vaccine ) को मंजूरी मिलना भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है. PM मोदी ने कहा कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है." आपको बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद वैक्सीनेशन अभियान में आई तेजी के बीच इस महामारी के खिलाफ भारत को एक हथियार और मिल गया है. मतलब साफ है कि देश में जारी कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में अब एक और वैक्सीन जुड़ गई है. दरअसल, सरकार की ओर से गठित सब्जेक्‍ट एक्‍सपर्ट कमेटी (Subject Expert Committee, SEC) ने कोरोना वैक्सीन जायडस कैडिला की तीन डोज वाले टीके के इमरजेंसी यूज को मंजूरी देने के लिए सिफारिश की है.

यह भी पढ़ें: 3 डोज वाली कोरोना वैक्सीन ZyCov-D को को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

आपको को बता दें कि जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी यूज को मंजूरी मिली है. इसकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह 12 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जा सकती है. जायडस कैडिला की इस कोरोना वैक्सीन का नाम ZyCoV-D रखा गया है. ZyCoV-D दुनिया की पहली डीएनए पर आधारित स्वदेशी वैक्सीन है. भारतीय कंपनी जायडस कैडिला का कोरोना टीकसा ZyCoV-D इस मायने में भी काफी खास है कि इसकी एक या दो नहीं बल्कि तीन डोज लेनी होंगी. इसके साथ ही कोरोना की यह वैक्सीन  नीडललेस ( Needle-free COVID19 vaccine ) है, इसका मतलब यह है कि इसकी डोज लेने के लिए सुई नहीं लगवानी होगी. यही वजह है कि इसके साइड इफेक्ट के खतरे भी कम हैं.

यह भी पढ़ें: डेल्टा वेरिएंट से वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना होना आम, ताजा रिपोर्ट में खुलासा

जानकारी के अनुसार जायडस कैडिला का कोरोना टीका पहला पालस्मिड DNA वैक्सीन है. इसको बिना किसी सुई के फार्माजेट तकनीक (PharmaJet needle free applicator) से लगाया जा सकेगा. जो वैक्सीन से होने वाले किसी भी साइड इफेक्ट के खतरे कम करता है. दरअसल, फार्माजेट तकनीक के अंतर्गत नीडललेस यानी बिना सुई वाले इंजेक्शन में वैक्सीन भरी जाती है, जिसके बाद उनको एक मशीन फिटकर फिर बांह पर लगाया जाता है. मशीन पर लगे बटन को दबाते ही कोरोना वैक्सीन  बॉडी में प्रवेश कर जाती है.