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तीन दिनों में बनेगी तीन साल की रणनीति, मोदी सरकार चुनावी मोड में

मकसद यही है कि नए मंत्री अभी से चुनाव मोड में आ जाएं और अपने कामों से आम लोगों तक पकड़ को और मजबूत बनाएं.

Updated on: 08 Aug 2021, 09:17 AM

highlights

  • मोदी सरकार के नए मंत्रिमंडल की उच्चस्तरीय बैठक मंगलवार से
  • नए मंत्रियों के कामों की समीक्षा कर दिए जाएंगे आगे के लक्ष्य
  • लोकसभा चुनाव समेत सात राज्यों के विधानसभा चुनावों पर नजर

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव 2024 के मोड में आने की कमर कस चुकी है. इसके अलावा अगले साल उत्तर प्रदेश समेत सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस हफ्ते नए मंत्रिपरिषद (Cabinet) की बैठक आहूत की है. तीन दिन चलने वाली इस बैठक में अगले तीन सालों का एजेंडा तय किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि दीनदयाल मिशन के तहत नए मंत्रियों और उनके विभागों को लक्ष्य दिया जाएगा. मकसद यही है कि नए मंत्री अभी से चुनाव मोड में आ जाएं और अपने कामों से आम लोगों तक पकड़ को और मजबूत बनाएं. 

मंत्रियों को दिए जाएंगे 3 साल के लक्ष्य
गौरतलब है कि बीते महीने ही पीएम मोदी की टीम में कई नए चेहरों की एंट्री हुई है. स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी बदली गई थी. जानकारी के मुताबिक मंगलवार शाम 6 बजे से सदन में शुरू होने जा रही इस उच्चस्तरीयबैठक में अगले तीन सालों पर चर्चा की जानी है. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान सभी मंत्रालयों के कामों की समीक्षा की जाएगी और लक्ष्य तय किए जाएंगे. इसके अलावा नए मंत्रियों को उनके विभागों और मंत्रालय के संबंध में जानकारी दी जाएगी और उनसे की जा रही अपेक्षाएं भी बताई जाएंगी.

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कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही मोदी सरकार
2014 में सत्ता आने के बाद यह पहला मौका है जब पीएम मोदी की सरकार कई मुद्दों पर आलोचना का सामना कर रही है. इनमें कोविड-19 का प्रबंधन, बढ़ती कीमतें और नए कृषि कानून शामिल हैं. इन चुनौतियों के मद्देनजर ही बीते महीने पीएम मोदी ने स्वास्थ्य, आईटी और तेल समेत दर्जनभर मंत्रालयों में बदलाव किए थे. ऐसा कहा गया था कि मोदी सरकार ने यह कदम आलोचना से बचने के लिए उठाया था. ऐसे में पार्टी पीएम मोदी की चोट खाई लोकप्रियता को दोबारा सुधारने के लिए चिंतित नजर आ रही है. गौरतलब है कि साल 2019 में सत्ता में लौटने के बाद ही सरकार ने पहले दो सालों में दो बड़े फैसले लिए थे. इनमें जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना शामिल है.