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गांधी जयंती: पीएम मोदी पहुंचे गांधी स्मृति, प्रार्थना सभा में लिया भाग

गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार शाम गांधी स्मृति पहुंचे और वहां महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में भाग लिया. इससे पहले सुबह पीएम ने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी.

Updated on: 02 Oct 2020, 07:47 PM

नई दिल्ली :

गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार शाम गांधी स्मृति पहुंचे और वहां महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में भाग लिया. इससे पहले सुबह पीएम ने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजय घाट पर जाकर पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री को पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी. बता दें कि 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री दोनों की जयंती होती है.

इससे पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, 'हम गांधी जयंती पर प्यारे बापू को नमन करते हैं. उनके जीवन और महान विचारों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. बापू के आदर्श हमें समृद्ध और करुणापूर्ण भारत बनाने में मार्गदर्शन करते रहे.'

प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी के सिद्धांतों की सराहना करते हुए दो मिनट का वीडियो भी साझा किया. क्लिप में, उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि "गांधीजी ने कभी भी अपने जीवन में अपना प्रभाव बनाने की कोशिश नहीं की, हालांकि, उनका जीवन अपने आप में एक प्रेरणा बन गया." मोदी ने राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी.

महात्मा गांधी के अलावा, मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने सादगी को महत्व दिया और हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए जिया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, "लाल बहादुर शास्त्री जी विनम्र और ²ढ़ थे. वह सादगी का प्रतीक बने और हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए जिया. हम उन्हें उनकी जयंती पर भारत के लिए किए गए हर काम के लिए गहरी कृतज्ञता के साथ याद करते हैं."

इस बीच, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी और ट्वीट कर कहा कि लोगों को उनके जीवन से सबक लेना चाहिए, खासकर जब हम एक महामारी का सामना कर रहे हैं.

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राष्ट्रपति ने कहा, 'गांधीजी ने कभी भी एक महान आत्मा होने का दावा नहीं किया, वास्तव में, वह अपनी कमजोरियों के बारे में दुनिया को बताने के लिए अपने रास्ते चले. फिर भी, अधिकतम मानवीय क्षमता का एहसास कराने का वह सबसे अच्छा उदाहरण हैं.'

राष्ट्रपति ने कहा कि एक बेहतर इंसान बनने और अपने आसपास के लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होने के इस निरंतर प्रयास ने उन्हें एक महात्मा बना दिया. यह पथ निश्चित रूप से, बेहद कठिन था. रास्ते में कई असफलताएं थीं लेकिन उन्होंने कदम बढ़ाना जारी रखा.

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राष्ट्रपति ने कहा, 'गांधीजी अपने अधिकारों की तुलना में अपने कर्तव्यों के बारे में अधिक चिंतित थे और दूसरों की ओर से-- दलितों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं और अन्य के समर्थन में उतरे. गांधीजी ने बड़े विस्तार से दिखाया कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, सतत विकास, आर्थिक और सामाजिक समानता प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों, संगठन और राष्ट्र द्वारा क्या करने की जरूरत है.'

उन्होंने कहा, 'साल भर चले उनकी 150वीं जयंती के समारोह का आज समापन उनकी यादों को ताजा करने और सार्वजनिक जीवन की नैतिक नींव को फिर से जीवंत करने का एक उपयुक्त अवसर रहा है.'