Corona: 18 साल और अधिक उम्र के लिए टीकाकरण की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि टीका लगवाने से पीड़ित व्यक्तियों को वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी के अनुसार, उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा.

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि टीका लगवाने से पीड़ित व्यक्तियों को वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी के अनुसार, उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा.

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Nihar Saxena
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Corona Vaccine

18 से अधिक वय के लोगों के लिए टीकाकरण पर याचिका.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

देश में कोविड (COVID-19) मामलों में लगातार वृद्धि का हवाला देते हुए 18 साल और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को कोविड-19 वैक्सीन (Corona Vaccine) उपलब्ध कराने के निर्देश की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता रश्मि सिंह की ओर से अधिवक्ता एमआर शमशाद के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यदि बड़ी संख्या में युवा और कामकाजी आबादी को टीका लगाया जाता है तो वर्तमान स्थिति की तुलना में मामलों की संख्या काफी कम हो जाएगी और वायरल संक्रमण के फैलाव पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि टीका लगवाने से पीड़ित व्यक्तियों को वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी के अनुसार, उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा.

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आईएमए के पत्र का याचिका में हवाला
याचिका में प्रधानमंत्री को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पत्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण की अनुमति दी जानी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि दिहाड़ी मजदूरों के साथ-साथ गरीबी रेखा से नीचे आने वाले व्यक्तियों सहित जनसंख्या के हाशिए पर रहने वाले वर्ग भी 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के भीतर आने वाली आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं. याचिका में कहा गया है कि वैक्सीन की दोनों खुराकों के लिए प्रशासन को 6-8 सप्ताह का समय लगता है और जब तक टीका 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग तक पहुंचता है, तब तक कोविड-19 तेजी से फैल जाता है और ऐसी स्थिति को जन्म दे सकता है, जिसमें एक और लॉकडाउन लगाया जाना पड़ सकता है.

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टीकाकरण में 18-45 उम्र को नहीं शामिल करना मनमानी
याचिका में 18-45 उम्र के शामिल न करने को मनमाना बताया गया है. कहा गया है कि 18-45 साल की आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन के लिए मना करना मनमाना, 'भेदभाव पूर्ण और अकारण' है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इनकार करना जीवन और स्वास्थ्य के हकों का उल्लंघन है. साथ ही इस याचिका में जानकारों का हावाला भी दिया गया है. याचिका में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत कई एक्सपर्ट्स की बातों को शामिल किया गया है. IMA ने कोविड-19 टीकाकरण को बढ़ाने की मांग की थी. कुछ एक्सपर्ट्स ने सलाह दी है कि हालात का सामना करने के लिए भारत को कम से कम 1 करोड़ डोज रोज लगाने की जरूरत है.

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महाराष्ट्र में 18 से अधिक उम्र के लोगों का टीका लगाने की मांग
इससे पहले महाराष्ट्र में कोरोना की भयावह रफ्तार को देखते हुए शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की मांग की थी. उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र भी लिखा था. अपने पत्र में उन्होंने कहा कि सरकार को 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए टीका सुलभ बनाना चाहिए. चतुर्वेर्दी ने पत्र में लिखा, 'मैं आपसे मंत्रालय के इस रुख की समीक्षा करने और 45 साल से कम उम्र के लोगों को भी टीका लगावाने, कम से कम 18 से उपर के लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने का आग्रह करती हूं, ताकि उनका टीकाकरण हो सकें और सुरक्षित तरीके से काम कर सकें.'

HIGHLIGHTS

  • रश्मि सिंह की ओर से अधिवक्ता एमआर शमशाद ने दायर की याचिका
  • संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन की गारंटी का दिया गया हवाला
  • शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी भी पत्र लिखकर कर चुकी हैं यही मांग
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