गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
पाकिस्तान समेत 3 देशों के गैर मुस्लिम नागरिकों को भारत की नागरिकता के लिए मांगे गए आवेदन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
highlights
- केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती
- केरल की पार्टी मुस्लिम लीग ने लगाई अर्जी
- प्रवासियों को नागरिकता के खिलाफ याचिका
नई दिल्ली:
पाकिस्तान समेत 3 देशों के गैर मुस्लिम नागरिकों को भारत की नागरिकता के लिए मांगे गए आवेदन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. केरल की पार्टी मुस्लिम लीग ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अर्जी में मुस्लिम लीग ने केंद्र के उस नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है. बता दें ही हाल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें सरकार ने 5 राज्यों के कुछ जिलों में शरणार्थियों को नागरिकता के लिए अप्लाई करने की इजाजत दी.
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शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए और गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में निवास कर रहे हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध जैसे गैर मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए. नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने अधिसूचना जारी की.
गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में साफ कहा कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मोदी सरकार ने कानून की धारा 5 के तहत यह कदम उठाया है. इसके तहत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देशित किया गया.
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सीएए के बिना नागरिकता
हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के तहत नियमों को तैयार नहीं किया है. गौरतलब है कि साल 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के कई हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में काफी दंगे भी हुए थे. नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे.
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