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जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

याचिका (Petition) में दलील दी गई है कि परिसीमन की ये कवायद केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और धारा 63 के विपरीत है. 

याचिका (Petition) में दलील दी गई है कि परिसीमन की ये कवायद केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और धारा 63 के विपरीत है. 

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Keshav Kumar
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Maharashtra Political Crisis

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका( Photo Credit : फाइल फोटो)

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ( Jammu Kashmir ) में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटों सहित 107 से बढ़ाकर 114 करने के लिए गठित परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) के खिलाफ याचिका दायर की गई है. याचिका में दलील दी गई है कि परिसीमन की ये कवायद केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और धारा 63 के विपरीत है. 

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याचिका में सवाल उठाया गया है कि भारत के संविधान की धारा 170 में प्रावधान के अनुसार देश में अगला परिसीमन 2026 के बाद किया जाएगा. इसके बावजूद जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश को क्यों परिसीमन के लिए चुना गया है? इसके लिए दलील दी गई है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की अधिसूचना असंवैधानिक है. क्योंकि यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है.

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केंद्र पर चुनाव आयोग की शक्तियां हथियाने का आरोप

याचिका जम्मू कश्मीर निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने उन शक्तियों को हथिया लिया है जो मूल रूप से भारत के चुनाव आयोग के पास हैं. परिसीमन का अर्थ किसी विधायी निकाय वाले देश या प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं या सीमाएं तय करने का कार्य या प्रक्रिया है.

HIGHLIGHTS

  • जम्मू कश्मीर के हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू ने दायर की याचिका
  • संविधान की धारा 170 में प्रावधान के अनुसार देश में अगला परिसीमन 2026 के बाद होगा
  • दलील है कि केंद्र ने उन शक्तियों को हथिया लिया जो मूल रूप से चुनाव आयोग के पास हैं
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