नीतीश को शुरुआती सफलता मिली है, लेकिन दिल्ली अभी दूर है: शिवानंद तिवारी
नीतीश को शुरुआती सफलता मिली है, लेकिन दिल्ली अभी दूर है: शिवानंद तिवारी
पटना:
नीतीश कुमार को विपक्षी नेताओं से समर्थन मिलने के बाद अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि चुनावी संग्राम में बेहतर चाणक्य कौन है- अमित शाह, नीतीश कुमार या शरद पवार।ये सभी अपने-आप में खास हैं, लेकिन चुनावी रणनीति बनाने की इनकी क्षमता की परीक्षा 2024 के लोकसभा चुनाव में होगी।
राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, फिलहाल बिहार के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो नीतीश कुमार को शुरुआती सफलता मिल रही है। देश के बड़े नेता विपक्षी एकता बनाने की उनकी पहल में उनके साथ हैं। विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस पार्टी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। इसके नेताओं को उदारता दिखानी होगी और क्षेत्रीय दलों को उनके किले में फलने-फूलने देना होगा। उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था और एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। उसने उपचुनाव में एक सीट जीती है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में उसने 403 सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र दो जीत सकी। पार्टी तेलंगाना में भी इसी तरह की स्थिति का सामना कर रही है।
तिवारी ने कहा, यहां एक मैचमेकर के रूप में नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण है। वह एक सीट, एक उम्मीदवार का फार्मूला लेकर आए हैं जिसे कांग्रेस पार्टी ने स्वीकार कर लिया। यही कारण था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार के साथ बातचीत की। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी के साथ बैठक की। नीतीश कुमार के प्रस्ताव को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी स्वीकार कर लिया। इसके बावजूद नीतीश कुमार के कौशल की परीक्षा तब होगी जब वह इन सभी नेताओं को एक मंच पर लाने में सक्षम होंगे। इसके लिए नीतीश कुमार की राजनीतिक राह आसान नहीं है। इसके बाद एक सीट, एक उम्मीदवार के फॉमूर्ले पर सर्वसम्मति बनाने और, सबसे महत्वपूर्ण, 2024 के लोकसभा चुनाव में एक सकारात्मक परिणाम की चुनौती होगी।
राजद नेता ने कहा, इस समय, हम यह नहीं कह सकते कि देश का सबसे अच्छा चाणक्य कौन है - अमित शाह, नीतीश कुमार या शरद पवार। ये सभी अच्छे हैं। हर कोई जानता है कि अमित शाह एक-दो जिलों में प्रभावशाली छोटे दलों और नेताओं को भाजपा के पक्ष में लाने के लिए किस प्रकार सूक्ष्म स्तर पर काम करते हैं ताकि विपक्षी दलों के वोटों को विभाजित किया जा सके। यह कोई बड़ी बात नहीं है, खासकर भाजपा के लिए।
उन्होंने कहा, नीतीश कुमार कितने अच्छे चाणक्य हैं यह इस बात से तय होगा कि वह विपक्षी दलों को एकजुट करने, लोगों के समर्थन को वोट में बदलने और महागठबंधन में वोटों के बंटवारे को कम से कम करने में कितने सफल होते हैं।
तिवारी ने कहा, हर कोई इस बात की चर्चा कर रहा है कि किस तरह राहुल, ममता और अखिलेश नीतीश कुमार की पहल का समर्थन कर रहे हैं। मेरा ²ढ़ विश्वास है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध बनाने का नीतीश का अपना तरीका है। केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में उन्होंने कभी देश के सिर्फ एक ही क्षेत्र के विकास की बात कभी नहीं सोची थी। उन्होंने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक हर नेता की मांग पूरी की। दूसरे नेताओं के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे हैं जो उनका सबसे बड़ा मजबूत पक्ष है। दूसरा उनकी स्वच्छ छवि है। कोई भी कभी भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में उन्हें नहीं घसीट सका है, भाजपा भी नहीं। इसके अलावा, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी दलों के नेताओं को एक-एक कर निशाना बनाने की भाजपा की हालिया रणनीति ने विपक्षी नेताओं को एकता के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया है।
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