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वन रैंक वन पेंशन पर सरकार की कथनी और करनी में अंतर : शक्ति सिंह गोहिल

वन रैंक वन पेंशन पर सरकार की कथनी और करनी में अंतर : शक्ति सिंह गोहिल

Updated on: 19 Feb 2022, 10:20 PM

दिल्ली:

पंजाब विधानसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा के तीसरे चरण के चुनाव से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देते हुए पूर्व सैनिकों का मुद्दा उठाया है और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर करार दिया है।

राज्य सभा सांसद और कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने वन रैंक वन पेंशन को लेकर केंद्र सरकार की नीति को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा करने वाले रिटायर्ड (पूर्व) जवानों के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने सदन में आश्वासन देने के बाद भी मापदंड बदल दिये हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के बयान को आधार बना कर केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सशस्त्र बलों में वन रैंक वन पेंशन को लेकर केंद्र से पूछा भी था कि क्या वह पेंशन में भविष्य में बढ़ोतरी करने के अपने फैसले से मुकर गया है? इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि समस्या है कि केंद्र इस मामले में अतिशयोक्ति वन रैंक वन पेंशन नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है।

दरअसल ओआरओपी वन रैंक, वन पेंशन जिसका उद्देश्य नौकरी में रहते साथ समान रैंक पर रिटायर होने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए पेंशन एक जैसी हो। इसी को लेकर शक्ति सिंह गोहिल ने शनिवार को कहा कि हमारे जवान, हमारे देश की सुरक्षा के लिए कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। कारगिल, लेह और लद्दाख में माइनस 40 डिग्री और कभी-कभी तो माइनस 48 डिग्री तक ठंड हो जाती है, उसमें भी जान की बाजी लगाकर हमारी रक्षा करते हैं। उनके न्याय, समानता और सम्मान की सुरक्षा सरकार की और हम सभी की है।

उन्होंने कहा कि इसी को देखते हुए केंद्र की ओर से किशियारी कमेटी का गठन किया गया था, जिसने इन जवानों के लिए जो सिफारिश की थी। इस कमेटी की सिफारिश के मुताबिक केंद्र सरकार ने संसद के फ्लोर पर 17 फरवरी, 2014 इसे लागू करने का आश्वासन दिया था। यहां तक कि तत्कालीन रक्षा मंत्री ने कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट को इस संबंध में सूचित भी किया था। लेकिन पांच साल के बाद अब भी पूर्व सैनिकों को इसका फायदा नहीं मिल पाया।

उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने मापदंड बदल दिए। एक पद पर काम कर चुके पूर्व सैनिकों की पेंशन में कोई भी अंतर नहीं होना चाहिए, लेकिन वास्तव में ये नहीं हो पाया। ये कोशियारी कमेटी की सिफारिश के ठीक उल्टा हो रहा है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.