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संसदीय समिति की सिफारिश: कोविड जैसे हालात में मजदूरों के खाते में पैसे डाले सरकार 

समिति ने कोरोना की पहली लहर के दौरान पैदल घर लौटते प्रवासी मजदूरों की हालत को लेकर सरकार को फटकार लगाई है. सरकार ने ऐसे लोगों के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के लिए करीब दो महीने का इंतजार किया. 

Updated on: 04 Aug 2021, 10:51 AM

नई दिल्ली:

श्रम मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने सरकार को फरकार लगाते हुए कोरोना के चलते लॉकडाउन जैसे हालात पैदा होने पर मजदूरों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की सिफारिश की है. समिति ने रिपोर्ट में कहा कि भारत के कुल 46.5 करोड़ मज़दूरों में से क़रीब 42 करोड़ यानि क़रीब 90 फ़ीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों का है. समिति का कहना है कि कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर मजदूरों पर ही पड़ा है, ऐसे में इन्हें मदद की सबसे अधिक जरूरत है. समिति चाहती है कि अगर लॉकडाउन जैसे हालात दोबारा पैदा होते हैं तो मजदूरों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जाएं.  

समिति का मानना है कि अपनी संरचना और मौसमी रोज़गार के चलते असंगठित क्षेत्र पर कोरोना की सबसे ज़्यादा मार पड़ी है लिहाज़ा इस क्षेत्र के मज़दूरों को मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है. असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों की मदद के लिए समिति ने लंबे समय के साथ साथ त्वरित उपाय करने की बात कही है. इसी सिलसिले में समिति ने सरकार से कोरोना जैसी विपदा के समय मज़दूरों के खाते में सीधा पैसा ट्रांसफर करने की सिफ़ारिश की है. 

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समिति ने सरकार को फटाकारा  
श्रम मंत्रालय की इस समिति को बीजेडी सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता में गठित किया गया है. समिति ने कोरोना की पहली लहर के दौरान पैदल घर लौटते प्रवासी मज़दूरों की हालत को लेकर सरकार को फ़टकार लगाई है. समिति का कहना है कि घर लौटते प्रवासी मज़दूरों की मदद करने में सरकार ने बहुत देर लगाई जिससे उनकी हालत और दयनीय होती चली गई. समिति ने इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया है कि जब पूरा देश पैदल घर लौटते प्रवासी मज़दूरों का हृदय विदारक दृश्य देख रहा था तब सरकार ने ऐसे लोगों के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के लिए क़रीब दो महीने का इंतज़ार किया. 

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 9 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्देश आने के बाद ही सरकार जागी और राज्य सरकारों से आंकड़े जुटाने को कहा गया जो श्रम मंत्रालय की शिथिलता बताने के लिए काफ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना की पहली लहर में लगाए गए लॉक डाउन के दौरान क़रीब 1.15 लाख प्रवासी मज़दूर घर लौटे. इनमें सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश की रही जहां के क़रीब 32 लाख प्रवासी मज़दूर अपने घर वापस लौटे. इसी तरह अन्य राज्यों के अलावा बिहार ( 15 लाख ) और बंगाल ( 13.5 लाख ) के मज़दूर अपने राज्य वापस लौटे. रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ने देश में बेरोज़गारी दर की गणना के लिए वर्ष 2017 से एक नया फार्मूला शुरू किया है. सरकार ने समिति को जानकारी दी है कि नया फॉर्मूला वास्तविकता के ज़्यादा नज़दीक है और इसलिए ज़्यादा भरोसेमंद भी है.