शीतकालीन सत्र: बीजेपी ने लोकसभा में सांसदों की मौजूदगी के लिए जारी किया 3 लाइन का व्हिप, तीन तलाक बिल पर होगी चर्चा
27 दिसंबर को लोकसभा में मुस्लिम महिला (अधिकार और विवाह का संरक्षण) विधेयक पर चर्चा होनी तय है. संभवत: यह विधेयक पारित भी किया जा सकता है.
नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 27 दिसंबर (गुरुवार) को लोकसभा में अपने सांसदों को पूरे दिन उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है. 27 दिसंबर को लोकसभा में मुस्लिम महिला (अधिकार और विवाह का संरक्षण) विधेयक पर चर्चा होनी तय है. संभवत: यह विधेयक पारित भी किया जा सकता है. इसे तीन तलाक विधेयक के तौर पर भी जाना जाता है. इस विधेयक का मकसद विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की रक्षा करना है.
इससे पहले 17 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारी हंगामे के बीच लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया था. उन्होंने कहा था कि तीन तलाक की कुरीति से मुस्लिम महिलाओं को संरक्षण प्रदान करना इस विधेय का उद्देश्य है.
इस विधेयक पर चर्चा को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के आग्रह पर टाल दिया था. सुमित्रा महाजन द्वारा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) सांसद एन के प्रेमचंद्रन को विधेयक पर बोलने के लिए कहने के तुरंत बाद खड़गे खड़े हुए और चर्चा को 27 दिसंबर तक टालने के लिए आग्रह किया था.
इस विधेयक को 27 दिसंबर को विधायी कार्य के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें इस पर विचार और पारित किया जाना था. मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक को बहुत ही महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था, 'विपक्ष विधेयक पर अच्छी चर्चा चाहता है. मैं आप से विधेयक पर चर्चा को 27 दिसंबर के लिए टालने का आग्रह करता हूं.'
केंद्र सरकार इस विधेयक को 2019 लोकसभा चुनाव से पहले पारित करवाना चाहती है वहीं विपक्ष लगातार इस विधेयक में खामियों को लेकर सवाल उठा रही है. मानसून सत्र में सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित नहीं करवा पाई थी. सरकार ने 19 सितंबर को एक अध्यादेश जारी कर तीन तलाक को अपराध करार दिया था.
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17 दिसंबर को भी कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विधेयक का विरोध किया था. थरूर ने दावा किया था कि इसमें एक खास धर्म को निशाना बनाया गया है और इसलिए यह असंवैधानिक है.
उन्होंने कहा, 'विधेयक एक विशेष धर्म पर आधारित है और यह संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन है. यह एक गलत विधेयक है.'
वहीं रविशंकर प्रसाद ने थरूर की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा था, 'विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए लाया गया है. तत्काल तलाक की वजह से बहुत-सी मुस्लिम महिलाएं पीड़ित हैं. यह विधेयक राष्ट्रहित में है और संवैधानिक है. आपत्तियां निराधार हैं.'
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