पालघर लिंचिंग केस: साधुओं का केस लड़ रहे वकील के सहयोगी की सड़क हादसे में मौत, संबित पात्रा ने उठाए सवाल

महाराष्ट्र के पालघर लिचिंग केस (Palghar lynching case) में साधुओं का केस लड़ रहे वकील के सहयोगी दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. ये हादसा बुधवार को मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर हुआ.

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nitu pandey
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दिग्विजय त्रिवेदी( Photo Credit : @sambitswaraj)

महाराष्ट्र के पालघर लिचिंग केस (Palghar lynching case) में साधुओं का केस लड़ रहे वकील के सहयोगी दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. ये हादसा बुधवार को मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर हुआ. दिग्विजय त्रिवेदी अपनी कार से कोर्ट जा रहे थे जब भीषण दुर्घटना हुआ.

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गुरुवार पालघर में सड़क हादसे में वकील दिग्विजय त्रिवेदी की मौत हो गई. दिग्विजय त्रिवेदी पालघर लिंचिंग मामले में संतों की तरफ से वकील अरुण उपाध्याय के दोस्त थें और केस की सुनवाई वाले दिन अपनी निजी दिलचस्पी के कारण कोर्ट की कार्रवाई सुनने जा रहे थे.

वकील अरुण उपाध्याय ने बताया कि हम लोग तीन गाड़ियों से दाहनू कोर्ट जा रहे थे, उनकी गाड़ी पीछे थी. हम कोर्ट पहुंच गए लेकिन वे पीछ रह गए. जब हमें पता चला कि उनकी गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया तो हम लोग पहुंचे और घायलों समेत उन्हें अस्पताल ले गए.

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दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में मौत के बाद सोशल मीडिया पर तमाम तरह की अफवाहें चल रहीं हैं. यह कहा जा रहा है कि दिग्विजय त्रिवेदी वीएचपी की तरफ से वकील थें. हमने खबर की पुष्टी के लिए वीएचपी नेता विनोद बंसल से बात की लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया. दिग्विजय त्रिवेदी बहुजन विकास आघाडी के लीगल सेल के सदस्य थे.

वहीं दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क दुर्घटना में मौत पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit patra) ने सवाल उठाया है. संबित पात्रा ने ट्वीट कर कहा, 'पालघर में संतो की हत्या मामले में VHP के वकील श्री दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में मृत्यु हो गयी . यह खबर विचलित करने वाली है. क्या ये केवल संयोग है कि जिन लोगों ने पालघर मामले को उठाया उनपर या तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया या FIR कराया? ख़ैर ये जांच का विषय है! ॐ शान्ति'

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बता दें कि अप्रैल महीने में पालघर के गड़चिनचले गांव में भीड़ ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. भीड़ के हत्थे चढ़े साधु मुंबई के जोगेश्सवरी पूर्व स्थित हनुमान मंदिर के थे. ये साधु मुंबई से सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार में जा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पुलिस ने इन्हें हाइवे पर जाने से रोक दिया. फिर गाड़ी में सवार साधु ग्रामीण इलाके की तरफ मुड़ गए, जहां मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए. इसके बाद बीजेपी ने उद्धव सरकार को घेरा. वहीं महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की.

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