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1971 युद्ध में जिसने उड़ा दिए दुश्मनों के परखच्चे, टैंकों पर चढ़ पाक का हौसला किया पस्त

1971 युद्ध में जिसने उड़ा दिए दुश्मनों के परखच्चे, टैंकों पर चढ़ पाक का हौसला किया पस्त

Updated on: 17 Dec 2021, 12:50 AM

नई दिल्ली:

देश गुरुवार को 50वां विजय दिवस मना रहा है, भारत में हर साल 16 दिसंबर को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराने के बाद देश जीत की खुशी मनाता है। इसी युद्ध में भारत की जीत के बाद बांग्लादेश बना, वहीं साल 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 13 दिनों तक यह युद्ध चलता रहा।

हालांकि उस वक्त सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर हिंदुस्तानी सेना को कमांड कर रहे एक जांबाज अफसर ने युद्ध के कुछ पहलुओं को साझा किया और बताया कि किस तरह पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

इसी युद्ध को याद करते हुए डेप्युटी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ से 2005 में रिटायर्ड हुए लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने आईएएनएस को बताया कि, 1971 का युद्ध आरम्भ हुआ तो उस समय का माहौल बहुत ही गंभीर था, क्योंकि ईस्ट पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू और मुस्लिम पर पाकिस्तान की आर्मी ने बहुत अत्याचार किए थे, शरणार्थियों की हालत बेहद खराब थी, औरतों- बच्चों के साथ मारपीट की जाती थी और पुरषों की पीठ पर नंबर लिख कर उनको बॉर्डर की ओर भागने को कहते थे, बाद में गोली मार दिया करते थे।

मुक्तिवाहिनी संगठन और ईस्ट पाकिस्तान के युवाओं ने एकजुट होकर पाकिस्तानी आर्मी का सामना किया, लेकिन वे हार गए। उस वक्त के प्रधानमंत्री और सेनापति ने यह लक्ष्य बनाया कि ईस्ट बंगाल के लोगों को मुक्त कराना है।

इस दौरान सेना को आदेश दिया गया, वहीं हथियारों को जमा किया गया, फिर सारे विकल्प खत्म होने के बाद पाकिस्तान पर हमला किया गया। उस वक्त पाकिस्तान के 4 डिवीजन पर भारत ने हमला किया।

उन्होंने बताया कि, मैं नार्थ वेस्ट सेक्टर में था और सिलीगुड़ी कॉरिडोर के आसपास बेहद संवेदनशील इलाका था, क्योंकि वहां पाकिस्तान सेना की 16 डिवीजन पर तैनाती थी, यदि पाकिस्तान चाहता तो कॉरिडोर को ब्लॉक कर सकता था। जिससे हमारा पूरा नार्थ ईस्ट कट हो जाता, फिर हम अपनी सेना की मदद नहीं कर सकते थे।

1971 युद्ध के दौरान में मेजर के पद पर तैनात था और एक कंपनी को कमांड कर रहा था, मेरे पास पाकिस्तान पर हमला करने की जिम्मेदारी थी। पाकिस्तान का बोगरा एक बहुत बड़ा कम्युनिकेशन, लॉजिस्टिक सेंटर और आर्मी सेंटर था। उसे हमें कब्जे में लेना था। पाकिस्तान के जवानों ने शुरूआत में बहुत कठिन स्थिति पैदा कर दी थी, उस समय हमारे एक टैंक ब्रिगेड और इंफेंट्री ब्रिगेड को यह काम मिला कि आपको पाकिस्तान की सेना के पीछे जाकर उनके कम्युनिकेशन को काटना है और हमला करना है।

7 दिसंबर तक बोगरा हाइवे को हमने कट कर दिया था। वहीं पहली गोविंद गंज की लड़ाई 11 दिसंबर को लड़ी गई। हमने टैंक के ऊपर चढ़ कर नदी पार की और पाकिस्तान की सेना पर हमला किया, जिससे दुश्मन बौखला गया। पाक सेना के 6 टैंक पकड़े, 6 आर्टिलरी को बर्बाद किया, 17 गाड़ियों पर हमला कर करीब 250 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।

13 दिसंबर बैटल ऑफ महस्तान का युद्ध हुआ, हमें आदेश मिला की आगे जाकर दुश्मन को धराशाई करना है। हमारे जवानों ने बटालियन पर हमला किया और मेजर महमूद व उनके अन्य साथियों को कैदी बनाया लिया। पाकिस्तान के जवानों ने अपने मेजर को बचाने की पूरी कोशिश की। वहीं हमले भी किये, लेकिन हमने शाम को महस्तान पर कब्जा कर लिया।

इसके बाद बोगरा पर पाकिस्तान के 1500 फौजी तैनात थे, उनको भी धराशाई किया, दो दिन भयंकर युद्ध हुआ, हिंदुस्तान की सेना ने शहर को तीनों तरफ से घेर लिया और मुख्यालय पर हमला किया। 16 दिसंबर की सुबह तक जमकर गोलाबारी हुई, फिर सीज फायर का ऐलान हुआ। उसके बाद देखा कि अगली सुबह पाकिस्तानी जवान सफेद झंडा दिखा रहे हैं।

देशभर में आज 1971 युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई, वहीं उस वक्त पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल नियाजी के कुल 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।

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