PoK में चीन की मदद से पाकिस्तान ने फिर शुरू किया बांध निर्माण: वी के सिंह
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल विवाद को लेकर जारी गतिरोध के बीच पाकिस्तान ने सिंधु नदी पर छह बांधों का निर्माण शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) में सिंधु नदी पर इन बांधों का निर्माण किया जा रहा है।
highlights
- सिंधु जल विवाद को लेकर जारी गतिरोध के बीच पाकिस्तान ने सिंधु नदी पर छह बांधों का निर्माण शुरू कर दिया है
- पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) में सिंधु नदी पर इन बांधों का निर्माण किया जा रहा है
नई दिल्ली:
सिंधु जल विवाद को लेकर जारी गतिरोध के बीच पाकिस्तान ने सिंधु नदी पर छह बांधों का निर्माण शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) में सिंधु नदी पर इन बांधों का निर्माण किया जा रहा है।
विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान पीओके में सिंधु नदी पर चीन की सहायता से छह बांधों का निर्माण कर रहा है।'
सिंह ने कहा कि जिन क्षेत्रों में बांधों का निर्माण किया जा रहा है, उस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा, 'ऐसे इलाके में किसी तरह की गतिविधि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है।'
सिंह ने कहा, 'हमने पाकिस्तान और चीन दोनों को इस मुद्दे पर अपने रुख से अवगत करा रखा है। भारत सरकार अपनी नीति पर कायम रहेगी।' बांध की मदद से चीन 4500 मेगावाट बिजपी का उत्पादन करने की योजना बना रहा है।
पाकिस्तान पिछले कई सालों से सिंधु नदी पर बांध बनाने का काम कर रहा है। हालांकि बीच में फंड की कमी की वज से बांध निर्माण का काम रुक गया था। इसके अलावा भारत की रणनीतिक कोशिशों की वजह से एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी पाकिस्तान को 14 अरब डॉलर का कर्ज देने से मना कर दिया था।
इससे पहले विश्व बैंक ने भी इस परियोजना के लिए पाकिस्तान को कर्ज देने से मना कर दिया था क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को इस परियोजना के लिए एनओसी नहीं दिया था।
गौरतलब है कि भारत संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का हवाला देते हुए इस परियोजना का विरोध कर रहा है।
हालांकि पाकिस्तान को अब इस योजना में चीन का साथ मिल रहा है। कुछ समय पहले ही पाकिस्तान ने उम्मीद जताई थी कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उन्हें चीन से फंड मिलेगा।
पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर में पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन रणनीतिक रूप से भारत को घेरने की योजना पर लंबे समय से काम करता रहा है। हालांकि पिछले कुछ सालों के दौरान पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों में तनाव पैदा होने के बाद दोनों देशों ने इस इलाके में निर्माण कार्य को तेज कर दिया है।
चीन का 'वन बेल्ट वन रोड' प्रोजेक्ट इसी रणनीति का हिस्सा है। भारत चीन के समक्ष इस परियोजना को लेकर गंभीर आपत्ति जाहिर कर चुका है।
गौरतलब है कि विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों देश सिंधु जल विवाद को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच दो दिवसीय बातचीत भी हुई। जल संसाधन मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिंह ने इस बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की थी।
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बैठक किशनगंगा व रातले जल विद्युत परियोजना से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए की गई थी। इस परियोजना का निर्माण भारत जम्मू एवं कश्मीर में कर रहा है जबकि पाकिस्तान ने दोनों परियोजनाओं का विरोध करते हुए कहा कि यह 1960 के सिंधु जल संधि का उल्लंघन है। दोनों देशों ने इस परियोजना पर अंतिम बातचीत मार्च में पाकिस्तान में की थी।
परियोजना से सिंधु नदी की तीन सहायक नदियों के पानी का इस्तेमाल 912,000 एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए हो सकेगा तथा 18,600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। पाकिस्तान का कहना है कि परियोजना से समझौते में उसकी हिस्सेदारी पर असर पड़ेगा।
इससे पहले विश्व बैंक ने झेलम और चेनाब नदी की सहायक नदियों पर पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति भारत को दे दी थी। पाकिस्तान ने किशनगंगा (330 मेगावाट) और रातले (850 मेगावाट) हाइड्रो पावर परियोजना का विरोध कर रहा था।
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