One Nation-One Election : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी का ऐलान, इन 8 सदस्यों को मिली जगह
One Nation-One Election : देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव की जांच के लिए 8 सदस्यीय समिति बनाई गई है. मोदी सरकार ने शनिवार को सभी सदस्यों के नामों का ऐलान कर दिया है.
highlights
- देश में वन नेशन, वन इलेक्शन पर चर्चा तेज
- संसद के विशेष सत्र में पेश हो सकता है ये बिल
- विपक्षी दलों ने इस बिल पर जताया विरोध
नई दिल्ली:
One Nation-One Election : देश में वन नेशन, वन इलेक्शन पर बहस तेज हो गई है. इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सदस्यों के नामों का ऐलान कर दिया है. एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर लॉ मिनिस्ट्री ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. आइये जानते हैं कि इस कमेटी में किन सदस्यों को शामिल किया गया है?
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कमेटी में अमित शाह-अधीर रंजन चौधरी समेत ये लोग हुए शामिल
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक राष्ट्र, एक चुनाव की जांच के लिए के लिए कमेटी बनाई थी. कानून मंत्रालय ने शनिवार को 8 सदस्यीय समिति के नामों की घोषणा की है. इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बनाए गए हैं, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व वित्त आयोग के चैयरमैन एनके सिंह, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व चीफ सीवीसी संजय कोठारी सदस्य बनाए गए हैं. वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया.
भारत सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जांच के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 2, 2023
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य को समिति के सदस्य के… pic.twitter.com/VKvt0VxXOU
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संसद के विशेष सत्र में पेश हो सकता है विधेयक
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया है. यह सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा. कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार एक नेशन, वन इलेक्शन बिल पेश कर सकती है. विपक्षी दलों ने इस विधेयक को विरोध किया है. हालांकि, मोदी सरकार के लिए संसद के दोनों सदनों से इस बिल को पारित कराना बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसके लिए देश के आधे राज्यों की सहमति जरूरी है. अब तो यह समय ही बताएगा कि संसद के विशेष सत्र में ये विधेयक पेश होगा या नहीं.
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