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ट्रिपल तलाक़ के ख़िलाफ़ हस्ताक्षर कैंपेन, 10 लाख़ मुस्लिम महिलाओं ने पेटीशन पर साइन कर कही- क़ानून में हो बदलाव

यूपी में कुल 20 करोड़ की आबादी है, जिनमें से 18.5% आबादी सिर्फ मुस्लिमों की है।

Updated on: 18 Mar 2017, 04:06 PM

नई दिल्ली:

ट्रिपल तलाक़ का मामला दिनबदिन गर्माता ही जा रहा है। इसे ख़त्म करने के लिए पूरे भारत से लगभग 10 लाख़ मुस्लिम महिलाओं ने एक पेटीशन पर साइन किया है। इस हस्ताक्षर कैंपेन शुरू करने के पीछे का मकसद ये बताना है कि मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब इस क़ानून में बदलाव चाहता है।

भाजपा और एमआरएम इस मुद्दे को लगातार चर्चा में बनाए रखे हुए हैं। कई इस्लामिक देशों में इस प्रथा पर प्रतिबंध है। भारत में भी इस प्रथा पर रोक के लिए अब आवाज बुलंद होने लगी है। 

क़ुरान के मुताबिक अगर किसी मुस्लिम पुरुष ने अपनी पत्नी को तलाक़ दिया है तो भी उसे तीन महीने का वक़्त दिया जाता है। इस दौरान अगर दोनों के बीच सुलह हो जती है तो इसे वापस लिया जा सकता है। लेकिन अगर तीन महीने के दौरान भी सुलह नहीं होता हो फिर ये तलाक़ पूरा मान लिया जाएगा।

सीएनएन के मुताबिक इस कैंपेन की शुरुआत आरएसएस की शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच संस्थान ने की है। इस सर्वे को यूपी में मुस्लिम बाहुल्य इलाक़े में बीजेपी को मिली जीत से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

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बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अप्रत्याशित जीत हासिल करते हुए 403 में से 312 सीट हासिल किया है, जबकि गठबंधन के साथ 325 सीट। यूपी के इतिहास में 1980 के बाद पहली बार किसी पार्टी को इतना बड़ा जनसमर्थन हासिल हुआ है।

यूपी में कुल 20 करोड़ की आबादी है, जिनमें से 18.5% आबादी सिर्फ मुस्लिमों की है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार यूपी मुस्लिम आबादी के लिहाज़ से भारत का एक बड़ा राज्य है।
हाल ही में कई मुस्लिम महिलाओं ने इस क़ानून को निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने भी कोर्ट में कहा था कि ये लिंग अन्याय है और इसकी वजह से पुरुष और महिलाओं के बीच असामनता बढ़ेगी।

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हालांकि ट्रिपल तलाक़ के समर्थन में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि महिलाओं की हत्या करने से बेहतर है कि उसे तलाक़ दे दिया जाए। उनका कहना है कि धर्म द्वारा दिये गए अधिकार को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है।

पिछले साल पीएम मोदी ने भी ट्रिपल तलाक़ का विरोध करते हुए कहा था कि इस क़ानून की वजह से मुस्लिम महिलाओं की ज़िदगी को बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता है। इसके साथ ही उनहोंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा था कि विपक्ष वोट बैंक के लिए इस मुद्दे को भुना रही है जो ठीक नहीं है।

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