Advertisment

डोभाल की बोस और विभाजन टिप्पणी पर कांग्रेस बोली, एनएसए भी मिथ्यावादियों की जमात में शामिल

डोभाल की बोस और विभाजन टिप्पणी पर कांग्रेस बोली, एनएसए भी मिथ्यावादियों की जमात में शामिल

author-image
IANS
New Update
NSA Doval

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

कांग्रेस ने शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की इस टिप्पणी के लिए आलोचना की कि यदि सुभाष चंद्र बोस जीवित होते, तो भारत का विभाजन नहीं होता और कहा कि वह भी मिथ्यावादियों की जमात में शामिल हो गए हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, अजीत डोभाल, जो ज्यादा नहीं बोलते हैं, अब मिथ्यावादियों की जमात में शामिल हो गए हैं। क्या नेताजी ने गांधी को चुनौती दी थी? क्या नेताजी वामपंथी थे? बेशक नेताजी सेक्युलर थे। यदि नेताजी जीवित होते तो क्या विभाजन नहीं होता? कौन कह सकता है, क्योंकि 1940 तक नेताजी ने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन कर लिया था। इस पर आपकी राय हो सकती है लेकिन यह एक विरोधाभासी प्रश्न है।

रमेश ने एनएसए पर निशाना साधते हुए कहा, डोभाल ने एक बात नहीं कही। नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के कड़े विरोध के बावजूद जिस व्यक्ति ने बंगाल के विभाजन का समर्थन किया, वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। मैं डोभाल को रुद्रांशु मुखर्जी की 2015 की बेहतरीन किताब पैरेलल लाइव्स की एक प्रति भेज रहा हूं। उन्हें कम से कम कुछ वास्तविक इतिहास को सूंघना चाहिए।

एसोचैम सुभाष चंद्र बोस स्मारक व्याख्यान देते हुए एनएसए ने कहा कि नेताजी ने जीवन के विभिन्न चरणों में बहुत दुस्साहस दिखाया और यहां तक कि उनमें महात्मा गांधी को चुनौती देने का भी दुस्साहस था।

डोभाल ने कहा, लेकिन गांधी अपने राजनीतिक जीवन के चरम पर थे और जब बोस ने इस्तीफा दिया और कांग्रेस से बाहर आए, तो उन्होंने नए सिरे से अपना संघर्ष शुरू किया।

डोभाल ने कहा, मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास में ऐसे लोगों की समानताएं बहुत कम हैं, जिनमें धारा के खिलाफ चलने का दुस्साहस था। नेताजी एक अकेले व्यक्ति थे और जापान के अलावा उनका समर्थन करने वाला कोई देश नहीं था।

एनएसए ने कहा कि उनके मन में यह विचार आया कि मैं अंग्रेजों से लड़ूंगा, मैं आजादी की भीख नहीं मांगूंगा। यह मेरा अधिकार है और मुझे इसे प्राप्त करना ही होगा।

डोभाल ने कहा, अगर सुभाष बोस होते तो भारत का विभाजन नहीं होता। जिन्ना ने कहा था कि मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वह सुभाष बोस हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि सुभाष चंद्र बोस चाहते थे कि भारतीय पक्षियों की तरह स्वतंत्र महसूस करें और देश की आजादी से कम किसी चीज के लिए कभी समझौता न करें।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment